Israel vs Syria Golan Heights: बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में इजरायली सरकार ने गोलान हाइट्स (Golan Heights) में मानव-बस्तियों के विस्तार की योजना को मंजूरी दे दी है.
गोलान हाइट्स सीरिया का एक क्षेत्र है, जिस पर वर्तमान में इजरायल (Israel) का कब्जा है. न्यूज एजेंसी के अनुसार, रविवार को जारी बयान में कहा गया कि 10.81 मिलियन डॉलर की योजना को कैबिनेट ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी.
बयान के अनुसार, इस योजना का मकसद गोलान हाइट्स (Golan heights) में इजरायली आबादी को दोगुना करना है. इसमें एक छात्र गांव की स्थापना, नए निवासियों के लिए डेवलपमेंट प्रोग्राम और शिक्षा प्रणाली और नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की पहल शामिल है.
सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने इजरायल की योजना की आलोचना की है. और, सवाल उठ रहा है कि आखिर इजरायल क्यों इस क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखना जाता है?
यहूदी राष्ट्र के लिए गोलान हाइट्स की अहमियत रविवार को इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के बयान से लगाई जा सकती है. नेतन्याहू ने रविवार को कैबिनेट बैठक की शुरुआत में योजना पर कहा,
“गोलान को मजबूत करना इजरायल को मजबूत करना है और यह इस समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.”
इजरायली पीएम ने कहा, “हम इस पर (गोलान हाइट्स पर) कब्जा बनाए रखेंगे, इसे समृद्ध बनाएंगे और इसमें बसेंगे.”
दक्षिण-पश्चिमी सीरिया में स्थित, गोलान हाइट्स 1,000 वर्ग मील (लगभग 2,590 वर्ग किमी) का पठार है. यह इजरायल, लेबनान और जॉर्डन की सीमा से लगा हुआ है.
इजरायली सेना ने 1967 के छह दिवसीय युद्ध में गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया था. यह युद्ध इजरायल और उसके अरब पड़ोसियों के बीच लड़ा गया था.
1973 के अरब-इजरायल युद्ध में सीरिया ने गोलान को फिर से हासिल करने की नाकाम कोशिश की थी. 1974 में इजरायल और सीरिया के बीच सीजफायर एग्रीमेंट पर हुआ.
इजरायल ने 1981 में गोलान हाइट्स पर एकतरफा कब्जा कर लिया. इजरायली कब्जे को दुनिया के अधिकांश देशों ने मान्यता नहीं दी और इसे सीरिया का हिस्सा माना.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, वर्ष 2000 में इजरायल और सीरिया के बीच उच्चतम स्तर की वार्ता हुई. इस दौरान गोलान की संभावित वापसी पर भी चर्चा हुई हालांकि वार्ता विफल रही.
इजरायल के कब्जे वाले गोलान की आबादी लगभग 55,000 है. इस इलाके में करीब 24,000 ड्रूज़ रहते हैं. ड्रूज़ एक अरब अल्पसंख्यक हैं और ज्यादातर सीरियाई के रूप में पहचाने जाते हैं. ऐसा बताया जाता है कि ड्रूज़ लोग 1967 के युद्ध के बाद भी यहां से नहीं भागे थे. माना जाता है कि यहां करीब 30 इजरायली बस्तियां हैं.
8 दिसंबर को सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद, इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र की निगरानी वाले बफर जोन पर कब्जा कर लिया, जो 1974 में दोनों देशों के बीच युद्धविराम समझौते के तहत स्थापित एक गैर सैनिक क्षेत्र था.
इजरायली सेना ने एक सीरियाई सेना चौकी पर भी नियंत्रण कर लिया तथा गोलान पर माउंट हरमोन की चोटी पर सेना तैनात कर दी.
इस बीच, इजरायल ने पूरे देश में सीरियाई सेना की संपत्तियों पर हवाई हमले शुरू कर दिए हैं. उसका दावा है कि वे हथियारों को ‘आतंकवादी तत्वों के हाथों में पड़ने से’ रोकने के लिए ऐसा कर रहे हैं.
इजराइल की सैन्य कार्रवाइयों की क्षेत्रीय देशों ने निंदा की है. यूएन ने भी इजरायल के हमले का निंदा की और साफ कहा कि वह इस क्षेत्र को इजरायल का हिस्सा मानता है.
“यह बहुत स्पष्ट है कि हम सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता के किसी भी उल्लंघन के खिलाफ हैं. हम इस तरह के हमलों के भी विरोध में हैं.”- संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक
दुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र गोलान हाइट्स को सीरिया का कब्ज़ा वाला क्षेत्र मानता है. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हम बफर ज़ोन पर आईडीएफ के कब्ज़े के बाद हुए 1974 के सीरिया-इजरायल समझौते के उल्लंघन के बारे में बहुत स्पष्ट थे.”
गोलन हाइट्स इजरायल के लिए रणनीतिक महत्व रखता है. मीडिया रिपोट्स के मुताबिक 1967 तक यह पठार सीरिया का हिस्सा था और यह उत्तरी इजरायल पर बमबारी करने के लिए एक सुविधाजनक साइट के रूप में जाना जाता था.
गोलन दमिश्क से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है. हाइट्स के शीर्ष से कथित तौर पर सीरिया की राजधानी का नजारा दिखता है. यहां से दक्षिणी सीरिया के अधिकांश हिस्से की निगरानी की जा सकती है. इस पर कब्जे से इजरायल को सीरियाई गतिविधियों पर नजर रखने का फायदा मिलता है.
सीरिया के 13 साल तक चले सिविल वॉर ने संभवत: इजरायल को गोलान हाइट्स को इजरायली शहरों और उसके अशांत पड़ोसी के बीच बफर जोन के रूप में बनाए रखने के लिए प्रेरित किया.
गोलान बेसाल्ट चट्टान पर फैला हुआ है, जिसमें उपजाऊ भूमि और महत्वपूर्ण जल स्रोत हैं जो जॉर्डन नदी और हसबानी नदी को पानी देते हैं.
गोलान की उपजाऊ भूमि और जल संसाधन भी इसे इजरायल और सीरिया दोनों के लिए एक अहम क्षेत्र बनाते हैं.
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