(सुबोध जैन)
जिमखाना क्लब के सरकारी प्रबंधकों द्वारा प्रधानमंत्री आवास की सुरक्षा में सेंध लगाने की घटना ने नई दिल्ली पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया है. आरोप है कि पुलिस अति संवेदनशील क्षेत्र में प्रतिबंध के बावजूद ड्रोन उड़ाने की घटना पर लीपापोती कर रही है. ड्रोन उड़ाने का आरोप भी किसी और पर नहीं बल्कि जिमखाना क्लब में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त निदेशक पर है. सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाला स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप भी इस बारे में पुलिस को सख्त पत्र लिख चुका है, लेकिन एक विशेष आयुक्त मामले में मुकदमा दर्ज नहीं होने दे रहा है.
दरअसल आजादी के अमृत-महोत्सव के दौरान जिमखाना क्लब के तत्कालीन सचिव आशीष वर्मा ने कर्मचारियों की तिरंगा यात्रा का आयोजन किया था. इस दौरान क्लब प्रबंधकों ने बिना अनुमति के तीन-मूर्ति तक तिरंगा यात्रा निकाल दी. प्रधानमंत्री आवास की सुरक्षा से जुड़े सुरक्षा इंतज़ाम में लगी सेंध से दिल्ली पुलिस में हड़कंप मच गया.
सूत्रों के अनुसार जब स्थानीय एसीपी मौके पर पहुंची तो क्लब प्रबंधकों ने धमकाकर उन्हें क्लब से बाहर निकाल दिया. तब जिला पुलिस उपायुक्त ने सख्ती दिखाई. मगर अज्ञात कारणों से तुगलक रोड थाने में चुनिंदा लोगों के खिलाफ मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज कर पल्ला झाड़ लिया गया.
इस दौरान आरोप लगा कि जिमखाना प्रबंधन ने हिदायतों के बावजूद वहां ड्रोन उड़ा दिया. चूंकि जिमखाना की दीवार प्रधानमंत्री आवास से जुडी है और इस क्षेत्र में हवा में गुब्बारे तक उड़ाने पर प्रतिबंध है. लिहाजा प्रधानमंत्री आवास की सुरक्षा में सेंध की इस खबर से खलबली मच गई, लेकिन जिला पुलिस उपायुक्त ने फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. आरोप है कि इस मामले को छिपाने के लिए उन्होंने बिना किसी जांच के ड्रोन उड़ाने की घटना को नकार दिया. लेकिन कुछ ही दिन बाद प्रधानमंत्री आवास के साथ उड़ाए गए ड्रोन का वीडियो सामने आ गया.
बावजूद इसके जिला पुलिस अपनी लापरवाही छिपाने के लिए इस मामले में मुकदमा दर्ज नहीं किया. सूत्रों का कहना है कि इस मामले में प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली एसपीजी ने भी दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर इस घटना पर कड़ी नाराजगी जताई है. विभागीय सूत्रों का कहना है कि कंपनी कार्य मंत्रालय में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने क्लब में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले से जुडी फाइल में ड्रोन उड़ाए जाने की घटना का हवाला देकर वर्तमान प्रबंधन के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
आरोप यह भी है कि घटना की जानकारी दबाने के लिए क्लब कर्मचारियों को भी धमकाया गया है कि जिसने भी ड्रोन के बारे में जुबान खोली उसे नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा. इससे भी गंभीर बात यह है कि ड्रोन उड़ाने का आरोप किसी और पर नहीं बल्कि केंद्र सरकार द्वारा क्लब का संचालन करने के लिए तैनात किए गए आयकर विभाग से सेवानिवृत्त आईआरएस अधिकारी आशीष वर्मा पर लग रहे हैं. गौर करने की बात तो यह है कि क्लब के चेयरमैन का जिम्मा एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी संभाल रहे हैं. ऐसे में जिमखाना प्रबंधन की इस लापरवाही को बेहद गंभीर माना जा रहा है. लेकिन इतने गंभीर आरोप लगने के बावजूद वर्मा इस बारे में कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है.
ख़ास बात यह है कि एसीपी चाणक्यपुरी सुमा मद्दा ने स्वीकार किया है कि ड्रोन उड़ाने की फुटेज उन्हें मिल मिली है. वह कहती हैं कि स्थानीय एसएचओ का कहना है कि उसमे जिमखाना क्लब का लिंक स्थापित नहीं हो रहा है. लिहाजा अभी मामले की जांच की जा रही है. मगर नई दिल्ली की पुलिस उपायुक्त अम्रुथा गुगुलोठ ड्रोन उड़ाने से संबंधित फुटेज मिलने से भी इंकार कर रही हैं. जबकि सूत्र बताते हैं कि यह फुटेज डीसीपी के पास भी मौजूद है. उनका कहना है कि इस मामले में अभी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है. दिल्ली पुलिस के सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री आवास की सुरक्षा से जुड़ा मामला होने के बावजूद दिल्ली पुलिस में तैनात एक विशेष पुलिस आयुक्त इस मामले में मुकदमा दर्ज नहीं होने दे रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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