डिजिटल प्रौद्योगिकी के संसार में पिछले कुछ वर्ष अत्यंत उत्साह और रोमांच से भरे गुजरे हैं। इन वर्षों में हम और अधिक डिजिटल हो गए हैं और दुनिया बेपनाह तरीके से बदल गई है। आज इंटरनेट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता हमारे जीवन के हर पहलू में इतनी गहरी पैठ बना चुकी है कि अधिकतर लोगों के लिए डिजिटल ही संपर्क में रहने का एक प्रमुख तरीका बन गया है। हम कैसे सीखते हैं, कैसे काम करते हैं, कैसे खरीदारी करते हैं इन सब पहलूओं में डिजिटल की भूमिका अपरिहार्य होती जा रही है।
आज के डिजिटल युग में हम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लेकर बैंकिंग ऐप जैसी विभिन्न ऑनलाइन सेवाओं पर भरोसा करते हैं। और इसी भरोसे के चलते हम अपनी व्यक्तिगत जानकारी और संवेदनशील डेटा उन डिजिटल सेवा प्रदाताओं को सौंपते हैं। यह डेटा हमारे पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड विवरण से लेकर हमारी व्यक्तिगत पसंदों और ब्राउजिंग हिस्ट्री तक कुछ भी हो सकता है।
तकनीकी उन्नति के साथ ही डिजिटल उपकरणों और प्लेटफॉर्मों पर हमारी निर्भरता दिनों दिन बढ़ती जा रही है और उसके साथ ही विश्वसनीय डिजिटल भरोसे (डिजिटल ट्रस्ट) की अवश्यकता भी बढ़ती जा रही है। डिजिटल भरोसा उन डिजिटल उत्पादों और सेवाओं के प्रति उनके उपयोगकर्ताओं के विश्वास का स्तर है। इसका मतलब है कि जब आप डिजिटल दुनिया में कोई संबंध बनाते हैं, तो आप उस संबंध पर पूर्ण रूप से भरोसा करते हैं। यह संबंध आपके और दूसरे व्यक्तियों के बीच विनिमय के रूप में हो सकता है जो विभिन्न विषयों जैसे कि व्यापार, वित्त, संचार और सामाजिक नेटवर्किंग से संबंधित हो सकते हैं।
डिजिटल विश्वसनीयता उन सभी उपयोगकर्ताओं के लिए जरूरी है जो डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हैं, चाहे वह व्यवसायी हों या आम लोग। आज “डिजिटल भरोसा” डिजिटल दुनिया में इस कदर महत्वपूर्ण हो चुका है कि “डिजिटल विश्वास” को अब एक नई मुद्रा के रूप में देखा जा रहा है। यह डिजिटल आर्थिक प्रणाली के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक सबसे महत्वपूर्ण कारक बन चुका है। डिजिटल विश्वास सुरक्षित, विश्वसनीय और संरचित डिजिटल आर्थिक लेनदेन संबंधी जानकारी को संकलित करता है। इसे उपयोगकर्ताओं, निवेशकों और सरकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मानक माना जाता है।
डिजिटल आर्थिक लेनदेन बढ़ने के साथ ही इससे जुड़ी समस्याएं भी तेजी से उभर रही हैं। साइबर अपराधों, डेटा लीकेज़, ऑनलाइन धोखाधड़ी और आईडेंटिटी चोरी जैसी समस्याएं डिजिटल विश्वास को पीछे धकेल रही हैं। सायबर आक्रमणकर्ता आपकी निजी जानकारी को नुकसान पहुंचा सकता है, आपके खाते को हैक कर सकता है और अन्य अवांछित क्रियाएं कर सकता है। जो डिजिटल विश्वास को खंडित कर सकता है। डिजिटल भरोसे का अभाव कई तरह की समस्याओं को जन्म दे सकता है। डिजिटल भरोसे के बिना, डिजिटल मानकों और संबंधों की सुरक्षा स्तर बहुत कम हो जाता है। उदाहरण के लिए, अगर एक वेबसाइट पर आपके डेटा को हैक किया जाता है, तो आपकी निजी जानकारी स्थानांतरित हो सकती है और आपको फिशिंग या अन्य अपराधों का शिकार बनाया जा सकता है। इसके अलावा, ऑनलाइन धोखाधड़ी, मैलवेयर और ऑनलाइन फ्रॉड जैसी समस्याएं भी आपके डिजिटल भरोसे को खतरा पहुंचा सकती हैं। कई बार, डिजिटल उपयोगकर्ताओं को नुकसान होता है जब उनकी निजी जानकारी उनकी संरक्षा के बावजूद उनके हाथ से बाहर निकल जाती है।
डिजिटल भरोसे को इन खतरों से कैसे बचाया जा सकता है, इस पर विचार करना आवश्यक है। डिजिटल विश्व में विश्वसनीयता का निर्माण एक संवेदनशील विषय है, जो कि आज के समय में बढ़ती डिजिटल उपस्थिति के साथ और भी महत्वपूर्ण हो रहा है। स्थायी और उच्च गुणवत्ता वाली डिजिटल उपस्थिति बनाने के लिए विश्वसनीय डिजिटल भरोसा जरूरी है। यह भरोसा सभी स्तरों पर बनाया जाना जरूरी है। व्यक्तिगत, व्यवसायों और सरकारों के बीच डिजिटल भरोसा बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाना चाहिए। जैसे लोगों के विश्वास को जीतना, उच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान करना, निजी जानकारी को सुरक्षित रखना और डेटा के उपयोग पर पूर्ण नियंत्रण रखना। इसके लिए, डिजिटल विश्व में एक ऐसे शक्तिशाली सुरक्षा ढांचे को बनाया जाना जरूरी है, जो उपयोगकर्ताओं के जीवन और व्यवसाय की सुरक्षा को कायम रख सके।
विभिन्न तबकों के लोगों के लिए विश्वसनीय डिजिटल विश्वास की आवश्यकता अलग-अलग हो सकती है। व्यापार क्षेत्र में संचार, सौदों की पुष्टि, स्कैन्डल से बचाव और उत्पादों या सेवाओं की गुणवत्ता पर भरोसा जरूरी होता है। वित्तीय सेवाओं जैसे बैंकिंग, बीमा और निवेश में, ग्राहकों को अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए इन सेवाओं पर भरोसा होना जरूरी होता है। भारत सरकार ने डिजिटल भारत की शुरुआत की है जिसकी सफलता के लिए ऑनलाइन फॉर्म, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन, टैक्स भुगतान और ऑनलाइन राशन कार्ड जैसी सेवाओं में भरोसा होना जरूरी होता है।औद्योगिक तबके के लोग आपस में संचार करते हुए अनेक डिजिटल डेटा और सूचनाओं का उपयोग करते हैं। उन्हें यह जानने के लिए भरोसा होना चाहिए कि उनकी सूचनाएं सुरक्षित हैं और इनका गलत इस्तेमाल नहीं होगा। उच्च आय के लोगों के लिए विश्वसनीय डिजिटल भरोसा उनकी आर्थिक संरचना के बारे में चिंता करता हुआ अधिक महत्वपूर्ण होता है। उन्हें बैंकिंग संबंधी सेवाओं और उत्पादों के लिए ज्यादा विश्वसनीय डिजिटल प्लेटफॉर्म की जरूरत होती है, ताकि वे अपनी संपत्ति को सुरक्षित रख सकें और आर्थिक लेनदेन को सही ढंग से कर सकें।
डिजिटल भरोसे की विश्वसनीयता का निर्माण करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सुरक्षा तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए, ये सुरक्षा तकनीकें सुनिश्चित करती हैं कि उपयोगकर्ता के डेटा और गोपनीयता को संरक्षित रखा जाए। ब्लॉकचेन ऐसी ही एक तकनीक है जिसका उपयोग डेटा की गोपनीयता, सत्यापन और निजता को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। यह एक डिस्ट्रीब्यूटेड डेटा बेस होती है जो एक निश्चित अंतिमता वाली लेजर पर रखी जाती है। इस तकनीक का उपयोग करके, लेनदेनों की जांच की जाती है और इससे आपको उनकी विश्वसनीयता का एक निश्चित स्तर प्राप्त होता है। सभी संस्थानों को डेटा सुरक्षा और गोपनीयता नीतियों का विकास करना चाहिए जो उनके उपयोगकर्ताओं का विश्वास कायम रखे। डिजिटल भरोसे को बनाए रखने के लिए, कंपनियों और संस्थाओं को सभी सुरक्षा नियमों और निर्देशों का पालन करना चाहिए और पनी सुरक्षा नीतियों को निरंतर अपडेट करना चाहिए।
आधुनिक सायबर सुरक्षा नीतीयों और संसाधनों का उपयोग करके डेटा को सुरक्षित रखा जा सकता है। सुरक्षित संसाधनों में एंक्रिप्टेड संचार, एंटी-वायरस, एंटी-स्पैम, एंटी-मैलवेयर, फायरवाल, एंड पॉइंट सुरक्षा, शून्य दिवस सुरक्षा, निरंतर नेटवर्क निगरानी आदि शामिल हो सकते हैं। अपने ऑनलाइन खातों के लिए सुरक्षित पासवर्ड का उपयोग करना और उसको नियमित रूप से बदलना अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है। पासवर्ड को मजबूती प्रदान करने के लिए अक्षर, संख्या और विशेष चिन्ह का सम्मिलित उपयोग करना चाहिए। अपने खातों में अधिक सुरक्षा के लिए, आप एक सत्यापन उपकरण का उपयोग कर सकते हैं। जैसे कि एक सत्यापन कोड या फिंगरप्रिंट आदि। डिजिटल प्लेटफार्म्स पर स्पष्टता और सत्यापन की अपेक्षा ज्यादा होती है। इसलिए, उन्हें पारदर्शिता की नीती का पालन करना चाहिए। यह उपयोगकर्ताओं को अपनी गतिविधियों की सुरक्षा और निजता की गारंटी देता है। एन्क्रिप्शन तकनीक का उपयोग डेटा को सुरक्षित रखता है इससे आपके डाटा तक सिर्फ अपेक्षित लोगों को ही पहुंच मिलती है। एंटी-फिशिंग टूल का उपयोग करके, कंपनियों और उपयोगकर्ताओं को फिशिंग से बचाया जा सकता है। नकली या चुराये हुए की बजाय असली सॉफ्टवेयर का उपयोग डेटा को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है। डेटा लीकेज डिटेक्शन और प्रिवेंशन तकनीक एक उन्नत एल्गोरिथ्म का इस्तेमाल करती है जो डेटा लीकेज को निरोधित करने में मदद करते हैं। यह डेटा लीकेज को पहचानने और उन तकनीकों को अवरोधित करने में मदद करती है जो डिजिटल भरोसे को तोड़ती हैं।
डिजिटल संसाधनों का बढ़ता उपयोग उन्हें उत्पादक बनाता है और डिजिटल भरोसा लोगों को डिजिटल माध्यमों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है। डिजिटल भरोसा उपयोगकर्ताओं को निश्चितता देता है कि उनकी जानकारी सुरक्षित है और उनकी निजी जानकारी को किसी भी अनधिकृत पहुंच से बचाया जाएगा। यह व्यापक रूप से उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित रखने में मदद करता है, जिससे उन्हें डिजिटल विश्व में स्वतंत्रता का आनंद मिलता है।
-भारत एक्सप्रेस
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