भारत वाकई में बदल रहा है. देश की राजनेता अब यूरोपीय देशों के आगे दुम हिलाने की बजाए, उन्हें उसी भाषा में जवाब देने लगे हैं, जो अभी तक भारतीयों के लिए प्रयोग की जाती थी. यही वजह है की भारत सरकार ने देश विरोधी हमलों में आंख बंद करके बैठे ब्रिटेन को उसकी औकात दिखाने के फैसले को अंजाम दे दिया है.
भगोड़े अमृतपाल पर भारत सरकार की कार्रवाई के बाद ब्रिटेन और कनाडा सहित यूरोपीय देशों में सक्रिय हुए अलगाववादी संगठन, भारतीय उच्चायोग पर प्रदर्शन कर उसे हानि नहीं पहुंचा पाएंगे. क्योंकि भारत सरकार ने ब्रिटिश सरकार के नकारात्मक रवैये को उसी की जुबान में जवाब देने की पहल कर दी है. सूत्रों की मानें तो कनाडा और अमेरिका ने भारतीय उच्चायोग पर हो रहे हमलों की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए उपद्रवियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की तो भारत में मौजूद उनके हाई कमीशन भी वैसे ही हालात का सामना करने को मजबूर हो जाएंगे.
पिछले कुछ महीनों से कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में भारतीय समुदाय के साथ दुर्व्यवहार एवं आपराधिक घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन में तो भारतीय हिंदूओं के पूजा घरों पर हमले की कई घटनाएं हो सा चुकी हैं. ख़ास बात यह है कि एशियाई देशों को कानून और अपराध नियंत्रण का सबक पढ़ाने वाले यूरोपीय देश, अपने यहां अराजकता पर उतरे उपद्रवियों के खिलाफ कार्यवाही करने में नपुंसक साबित हुए हैं. हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने ऐसी घटनाओं पर आपत्ति जताते हुए इन देशों के समक्ष विरोध भी दर्ज कराया है. मगर घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.
जानकारों की माने तो घटनाएं भले ही अमेरिका, ब्रिटेन या कनाडा में हुई हों, लेकिन इन सभी घटनाओं के पीछे बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का हाथ है. जो खालिस्तान के नाम पर सिख समुदाय के गुमराह गुट को भारत विरोधी कार्रवाई के लिए लगातार उकसा रही है. हैरानी की बात है कि हिंदू धर्म की रक्षा के लिए बलिदान देने वाले सिख गुरुओं का नाम लेकर, खालिस्तान समर्थक अलगाववादी यह हमले कर रहे हैं. जिससे हिंदूओं और सिखों में सदियों से चला आ रहा भाईचारा भी खतरे में पड़ रहा है.
पंजाब के पुलिस थाने पर गुरु ग्रंथ साहब की आड़ में हमला करने वाले अमृतपाल पर सरकार का शिकंजा कसा, तो चंद दिन पहले शहादत और कुर्बानी की बात करने वाला अमृतपाल चूहे की तरह बिल में घुस गया. जिसके बाद खालिस्तानी समर्थकों ने रविवार रात लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमला कर दिया था. उन्होंने 19 मार्च को वहां से तिरंगा हटाकर खालिस्तानी झंडा लगाने की कोशिश की थी. इस घटना से नाराज भारत ने ब्रिटिश उप उच्चायुक्त को तलब कर खालिस्तानी समर्थकों द्वारा उच्चायोग पर हमले के दौरान सुरक्षा उपलब्ध नहीं होने पर जवाब तलब किया था. जिसके बाद अमेरिका और कनाडा में भी लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं. आरोप है कि इन सभी देशों में खालिस्तान समर्थकों को संरक्षण दिया जा रहा है.
हैरानी की बात है कि भारत सरकार की पूर्व सूचना के बावजूद इन देशों की सरकारों ने भारतीय उच्चायोग और वाणिज्य केंद्रों के बाहर सुरक्षा बढ़ाने पर जरा भी ध्यान नहीं दिया. यही वजह है कि ब्रिटेन को उसी की भाषा में जवाब देते हुए भारत सरकार ने चाणक्यपुरी में मौजूद ब्रिटेन उच्चायोग के बाहर अभी तक मौजूद पुलिस सुरक्षा को हटा दिया है. अब आपको ब्रिटिश उच्चायोग के बाहर अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी और बैरिकेडिंग नजर नहीं आएंगे. हालांकि भारत सरकार या ब्रिटिश उच्चायोग इस मामले में कुछ भी नहीं बोल रहे हैं. लेकिन सूत्रों की मानें तो अगले कुछ समय में कनाडा, अमेरिका और अन्य देशों के दूतावासों को भारत में दी जा रही अतिरिक्त सुरक्षा हटा ली जाएगी. ऐसे में इन देशों के नकारापन के विरोध में भारतीय संगठनों के विरोध प्रदर्शन इनके लिए मुसीबत साबित हो सकते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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