GIFT City: भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र, गिफ्ट सिटी (Gujarat International Finance Tec-City), आज प्रवासी भारतीयों (NRIs) के लिए निवेश के एक शानदार विकल्प के रूप में उभर रहा है. यह न केवल एक आर्थिक ज़ोन है, बल्कि भारत की आर्थिक विकास यात्रा में एनआरआई समुदाय को सक्रिय भागीदारी का अवसर भी प्रदान करता है. लगभग 3.5 करोड़ भारतीय मूल के लोग विदेशों में बसे हैं, जिनका भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान बेहद महत्वपूर्ण है. गिफ्ट सिटी के ज़रिए ये प्रवासी निवेश को आसान, सुरक्षित और लाभदायक तरीके से भारत से जोड़ सकते हैं.
गिफ्ट सिटी का विशेष टैक्स ढांचा, वैश्विक मानकों वाला नियामक ढांचा और लचीली नीतियां इसे एक निवेश अनुकूल वातावरण बनाती हैं. यहां एनआरआई बैंकिंग, स्टॉक, बॉन्ड्स, AIFs, REITs, बीमा योजनाओं आदि में निवेश कर सकते हैं, और उन्हें उन जटिल प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना पड़ता जो भारत के पारंपरिक निवेश सिस्टम में होती हैं.
उदाहरण के लिए, गिफ्ट सिटी में एनआरआई विदेशी मुद्रा में बैंक खाते खोल सकते हैं जो न केवल पूंजी की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि आसान रिपैट्रिएशन और बेहतर ब्याज दर भी देते हैं. वे वैश्विक शेयर बाजारों और बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं, जिससे उनका निवेश पोर्टफोलियो वैश्विक स्तर पर विविध हो जाता है. AIFs, जिनमें वर्तमान में 140 से अधिक फंड सक्रिय हैं, उन्हें प्राइवेट इक्विटी और रियल एस्टेट जैसे विकल्पों में निवेश की सुविधा देते हैं.
अगर हम पहले और अब की तुलना करें तो गिफ्ट सिटी से पहले एक एनआरआई के लिए भारत में निवेश करना न केवल जटिल था बल्कि कम लाभकारी भी था. भारी टैक्स, सीमित विकल्प और कड़े विनियमन एक बड़ी चुनौती थे. लेकिन अब वही एनआरआई गिफ्ट सिटी के जरिए डॉलर में रिटर्न कमा सकता है, पूंजीगत लाभ कर से मुक्त रह सकता है और जीएसटी जैसे अप्रत्यक्ष करों से भी बच सकता है.
टैक्स के मोर्चे पर भी गिफ्ट सिटी एनआरआई निवेशकों के लिए बेहद आकर्षक है. यहां IFSC में सूचीबद्ध कई सिक्योरिटीज पर पूंजीगत लाभ कर नहीं लगता. 1 जुलाई 2023 से पहले जारी बॉन्ड्स पर ब्याज पर केवल 4% टैक्स लगता है और इसके बाद भी यह 9% तक सीमित है. डिविडेंड पर फ्लैट 10% टैक्स और फाइनेंशियल सर्विसेज पर कोई जीएसटी नहीं लगाया जाता. साथ ही, डेरिवेटिव और विदेशी निवेश पर कोई विदहोल्डिंग टैक्स नहीं है.
भविष्य में गिफ्ट सिटी और भी बड़े स्तर पर एनआरआई निवेश को आकर्षित कर सकता है. सरकार द्वारा लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम्स, ड्यूल स्टॉक लिस्टिंग, डिजिटल KYC प्रोसेस और समर्पित एनआरआई पोर्टल्स की योजना इसे और सरल बना रही है. इसके अलावा ग्रीन बॉन्ड्स, ESG आधारित निवेश और डिजिटल एसेट रेगुलेशन के जरिए निवेश के नए विकल्प भी खुल रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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