Wholesale Inflation : महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी के लिए राहत की खबर है. दरअसल अप्रैल के महीने में थोक मुद्रास्फीति दर 1 फीसदी से भी कम दर्ज की गई है. साफ सब्दों में कहे तो अप्रैल के लिए WPI -0.92% रिकॉर्ड की गई . जो बीते 3 सालों में सबसे कम है. इससे पहले मार्च महीने के दौरान भी थोक महंगाई की दर में भारी गिरावट देखने को मिली थी . मार्च में थोक महंगाई दर 1.34 फीसदी दर्ज हुई थी. जुलाई 2020 के बाद ऐसा पहली बार है कि थोक महंगाई दर शून्य से भी नीचे हो.
खुदरा महंगाई दर में भी आई थी कमी-
अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर में भी गिरावट दर्ज हुई थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल के महीने में CPI रेट 4.7% रहा, जोकि बीते डेढ़ साल का निचला स्तर है. मार्च में रिटेल महंगाई दर 5.66% था जबकि फूड इन्फ्लेशन रेट 3.84% रहा, जो पिछले महीने 4.79% था.
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महंगाई दर कम होने का कारण-
वाणिज्य मंत्रालय का कहना है कि अप्रैल महीने में जरूरी चीजों की कीमतों में गिरावट के कारण महंगाई के मोर्चे पर राहत मिली है. अप्रैल के महीने में टेक्सटाइल, नॉन-फूड आर्टिकल्स, बेसिक मेटल्स, खाने-पीने के सामानों, केमिकल, रबर, मिनरल ऑयल, पेपर आदि के भाव तेजी से कम हुए हैं. इसका असर थोक महंगाई के आंकड़ों में दिख रहा है.
आंकड़ों के हिसाब से अप्रैल महीने के दौरान खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर 0.17 फीसदी दर्ज हुई है. जो मार्च में 2.32 फीसदी थी. खाने के तेल के मामले में सरकार के उपाय कारगर साबित होते दिख रहे हैं. सरकार ने तेल कंपनियों को ग्लोबल मार्केट में आई गिरावट का फायदा कस्टमर्स के साथ शेयर करने का निर्देश दिया था. इसका असर हुआ कि अप्रैल में खाने के तेल की थोक महंगाई शून्य से 25.91 फीसदी नीचे गिर गई. इसी तरह प्राइमरी आर्टिकल्स की थोक महंगाई कम होकर 1.60 फीसदी हो गई थी.
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