Bharat Express

Inflation

भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है. महंगाई में कमी, आरबीआई द्वारा ब्याज दर में कटौती, और निजी निवेश का वृद्धि भारत की मजबूत वृद्धि की दिशा में कदम है.

Economic Indicators: बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जीडीपी वृद्धि जनवरी-मार्च तिमाही में तेज़ हो सकती है. कुम्भ मेला, जीएसटी संग्रहण, और कृषि क्षेत्र में वृद्धि सकारात्मक संकेत दे रहे हैं.

बीसीजी रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि स्थिर बनी हुई है. जीडीपी वृद्धि दर 6-7% रहने का अनुमान है, जबकि मुद्रास्फीति घटी और जीएसटी संग्रह बढ़कर उच्चतम स्तर पर पहुंचा.

जनवरी में भारत का जीएसटी संग्रह 1.96 लाख करोड़ के उच्चतम स्तर पर पहुंचा. मुद्रास्फीति में गिरावट और विनिर्माण पीएमआई में सुधार से आर्थिक संकेतक सकारात्मक नजर आ रहे हैं.

श्रम मंत्रालय द्वारा सोमवार (24 फरवरी) को जारी किए गए आंकड़ों में बताया गया कि ऑल-इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर एग्रीकल्चर लेबरर्स (सीपीआई-एएल) और रूरल वर्कर्स के लिए सूचकांक (सीपीआई-आरएल) में महंगाई दर जनवरी में गिरकर क्रमश: 4.61 प्रतिशत और 4.73 प्रतिशत रह गई है.

फरवरी में भारत का एचएसबीसी कंपोजिट पीएमआई बढ़कर 60.6 पहुंचा, जिससे प्राइवेट सेक्टर की मजबूत वृद्धि दर्ज हुई. सर्विस सेक्टर में उल्लेखनीय उछाल और रोज़गार सृजन में रिकॉर्ड वृद्धि के कारण आर्थिक दृष्टिकोण सकारात्मक बना रहा.

Budget 2025-26 Expectations: युवाओं का मानना है कि सरकार को महंगाई पर काबू पाना चाहिए, टैक्स नीति में सुधार करना चाहिए, और रोजगार सृजन पर ध्यान देना चाहिए. वे मुफ्तखोरी से दूर रहने की सलाह भी देते हैं.

World Bank ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि टैक्स रेवेन्यु  बढ़ने के कारण भारत के राजकोषीय घाटे में लगातार कमी आने की उम्मीद है.

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, FY25 की तीसरी तिमाही में भारतीय कंपनियां पहले के मुकाबले बेहतर राजस्व और मुनाफा दर्ज कर सकती हैं. ग्रामीण मांग और सार्वजनिक निवेश में तेजी की उम्मीद है.

FICCI) ने गुरुवार (16 जनवरी) को अनुमान लगाया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 26 में 6.5-6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करेगी, जो इनफ्लेशन के दबाव में कमी, पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) पर निरंतर जोर और उपभोक्ता खर्च में तेजी के कारण होगी.