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WPI

अगस्त की तुलना में सितंबर में खनिजों (1.83 प्रतिशत), गैर-खाद्य वस्तुओं (1.31 प्रतिशत) और खाद्य वस्तुओं (0.86 प्रतिशत) की कीमतों में वृद्धि हुई.

वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में नरमी के बाद लगभग तीन वर्षों में पहली बार भारत की थोक कीमतों में कमी आई.

अप्रैल के लिए WPI -0.92% रिकॉर्ड की गई . जो बीते 3 सालों में सबसे कम है. इससे पहले मार्च महीने के दौरान भी थोक महंगाई की दर में भारी गिरावट देखने को मिली थी .

आम आदमी को महंगाई का एक और बड़ा झटका लगने वाला है, पेंकिलर से लेकर एंटीबायोटिक्स तक, सभी दवाइयां होने जा रही हैं महंगी