चुनाव

हरियाणा और जम्मू कश्मीर के सियासी नतीजों के बाद आने वाले राज्यों के चुनावों से पहले कांग्रेस को याद आया गठबंधन धर्म

प्रशांत त्यागी, वरिष्ठ संवाददाता, नई दिल्ली

लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस पार्टी (Congress) जिस विश्वास से भरी हुई नजर आ रही थी, वह धीरे-धीरे चुनौतियों के सामने फीका पड़ता दिख रहा है. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए चुनावों के नतीजों ने न केवल कांग्रेस के आत्मविश्वास को झटका दिया है, बल्कि पार्टी की रणनीतिक स्थितियों को भी बदलने पर मजबूर किया है.

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर: असफल गठबंधन और निराशाजनक परिणाम

हरियाणा के चुनाव में आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन न कर पाने का फैसला कांग्रेस के लिए महंगा साबित हुआ. यह कदम संभवतः कांग्रेस की राजनीतिक समझ में कमी और स्थानीय स्तर पर सहयोगी दलों की अहमियत को कम आंकने का परिणाम था. हरियाणा के नतीजे इस बात का उदाहरण हैं कि किस प्रकार गठबंधन न होने से पार्टी को चुनावी नुकसान होता है.

जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणाम भी कांग्रेस के लिए निराशाजनक रहे, जहां पार्टी केवल 38 में से 6 सीटें ही जीत पाई. यह परिणाम कांग्रेस की पकड़ कमजोर होने और क्षेत्रीय दलों के सामने उसकी चुनौतीपूर्ण स्थिति को दर्शाते हैं. जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की स्थिति पहले से ही कमजोर थी, लेकिन इन चुनावों ने इसे और अधिक स्पष्ट कर दिया है.

Congress क्यों हुई मजबूर?

पहले पार्टी महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में अपनी चुनावी बारगेनिंग पावर बढ़ाने की तैयारी कर रही थी, लेकिन इन नतीजों ने उसे रणनीति में बदलाव लाने को मजबूर कर दिया है. महाराष्ट्र में पहले कांग्रेस (Congress) की राज्य इकाई 288 विधानसभा सीटों में से 150 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही थी, फिर 125 पर अड़ गई थी, लेकिन अब हरियाणा के नतीजों और सहयोगी दलों के बदलते रुख के बाद पार्टी 105-110 सीटों पर भी संतोष करने को तैयार है. यह साफ दिखाता है कांग्रेस अब अपनी चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार कर रही है और वास्तविकताओं के हिसाब से अपने कदम बढ़ा रही है.

झारखंड में भी ऐसी ही स्थिति दिख रही है. पहले पार्टी पिछली बार लड़ी 31 सीटों से ज़्यादा 33 पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही थी, लेकिन अब उसे सहयोगियों के साथ समझौता करना पड़ रहा है, वहीं जेएमएम पिछली बार की तरह 43 सीटों पर लड़ेंगी. सूत्रों के मुताबिक, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) कांग्रेस को केवल 29 सीटें देने को तैयार है और कांग्रेस ने भी इसे स्वीकार कर लिया है. राज्य में जेएमएम, राजद और कांग्रेस के गठबंधन में सीपीआई एमएल की भी एंट्री हुई है.

यह भी पढ़ें- Maharashtra Election: नांदेड़ उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने घोषित किया उम्मीदवार, जानें किसे मिला टिकट

इसी तरह यूपी के उपचुनाव में 10 में से 5 सीटें मांगने वाली कांग्रेस अब गठबंधन के ज़रिए बीजेपी को हराने की बात कर ही है. सीटों पर अड़ने वाले बयान अब नदारद हैं, वहीं महाराष्ट्र में भी सपा को सम्मानजनक सीटें देने की बात कर रही है. यह बदलाव दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी अब गठबंधन की राजनीति में लचीलेपन का परिचय दे रही है.

हालिया चुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया है कि, क्षेत्रीय दलों के साथ मजबूत संबंध और संतुलित गठबंधन किसी भी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय पार्टी के लिए जीत का अहम हिस्सा हो सकते हैं. इन परिणामों के बाद, कांग्रेस ने अपनी रणनीतियों में बदलाव किया है, जो आने वाले चुनावों में उनकी सफलता की कुंजी साबित हो सकती है.

-भारत एक्सप्रेस

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