केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय (Ministry of Telecommunications) ने केंद्र के उच्चस्तरीय अंतर-मंत्रालयी पैनल को सूचित किया है कि वह लगभग 2.17 करोड़ मोबाइल कनेक्शन काट देगा, जो या तो जाली दस्तावेजों पर लिए गए हैं या साइबर अपराध (Cyber Crime) में दुरुपयोग किए गए हैं और 2.26 लाख मोबाइल हैंडसेट भी ब्लॉक कर देगा.
पता चला है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) की इमिग्रेशन ब्यूरो, वित्तीय खुफिया इकाई, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), अन्य एजेंसियों के सुरक्षा विशेषज्ञों और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस महीने की शुरुआत में आयोजित एक बैठक में दूरसंचार विभाग (DoT) ने आंकड़ों को साझा किया था.
बीते मार्च महीने एक रिपोर्ट सामने आई थी कि 5,000 से ज्यादा भारतीयों के कंबोडिया (Cambodia) में फंसने का संदेह है, क्योंकि उन्हें कथित तौर पर उनकी इच्छा के विरुद्ध पकड़ा गया है और साइबर धोखाधड़ी (Cyber Frauds) करने के लिए मजबूर किया गया है.
सरकारी अनुमान के अनुसार, इस साल मार्च से पहले छह महीनों में भारतीयों को कम से कम 500 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया था. इसके बाद केंद्र ने इस मुद्दे पर विचार करने और खामियों की पहचान करने के लिए अंतर-मंत्रालयी पैनल का गठन किया था. समझा जाता है कि पैनल ने बैंकिंग, इमिग्रेशन और टेलीकॉम सेक्टर में कमियों की पहचान की है.
करीब तीन घंटे तक चली बैठक में दूरसंचार विभाग ने कहा कि उसने सिम कार्ड की खरीद के लिए ग्राहकों को जानो (KYC) को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कई कदम उठाए हैं. सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने बताया, ‘वे करीब 2.17 करोड़ मोबाइल कनेक्शन भी काट रहे हैं, जो या तो फर्जी/जाली दस्तावेजों पर लिए गए हैं, या फिर साइबर अपराध/वित्तीय धोखाधड़ी में दुरुपयोग किए गए हैं. वे 2.26 लाख मोबाइल हैंडसेट भी ब्लॉक कर रहे हैं.’
बीते मई महीने में दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार ऑपरेटरों को भारतीय मोबाइल नंबरों वाले सभी इनकमिंग International Spoofed Calls को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था. सूत्र ने कहा, ‘दूरसंचार मंत्रालय ने यह भी बताया है कि अब 35 प्रतिशत इनकमिंग अंतरराष्ट्रीय कॉल ड्रॉप हो रही हैं और इसे इस साल 31 दिसंबर तक पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा.’
बैठक में दूरसंचार विभाग ने कहा कि दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में घोटाले के परिसरों में रोमिंग फोन नंबरों की पहचान करने के लिए सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (TSP) को हर हफ्ते उन भारतीय मोबाइल नंबरों का डेटा उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है, जो हांगकांग, कंबोडिया, लाओस, फिलीपींस और म्यांमार में रोमिंग सुविधा के तहत हैं.
सूत्र ने कहा कि ‘दूरसंचार विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस वर्ष अप्रैल-जून की अवधि के दौरान दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में रोमिंग करने वाले भारतीय सिम कार्डों की कुल संख्या 6 लाख से अधिक है. पूरे भारत में इन सिम कार्डों को बेचने में 1.4 लाख से अधिक पॉइंट ऑफ सेल (PoS) एजेंट शामिल हैं. सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस से अनुरोध किया गया है कि वे भारतीय सिम की ऐसी बिक्री में कथित रूप से शामिल इन PoS एजेंटों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करें, जिनका उपयोग दक्षिण-पूर्व एशिया में घोटाले के परिसरों में किया जाता है.’
Cyber Slavery या साइबर गुलामी के शिकार लोगों को दक्षिण-पूर्व एशियाई (South East Asia) देशों में भेजा जाता है, जहां उन्हें बताया जाता है कि उन्हें ‘लाभदायक’ डेटा एंट्री जॉब मिलेगी और फिर उन्हें उनकी इच्छा के खिलाफ पकड़कर रखा जाता था और साइबर धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया जाता है.
बचाए गए कुछ लोगों ने बताया था कि इन देशों में भेजे जाने के बाद उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते हैं. इसके बाद इन लोगों को इन ‘धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों’ द्वारा काम पर रखा जाता है, जहां वे महिलाओं की तस्वीरों का उपयोग करके नकली सोशल मीडिया अकाउंट बनाते हैं, ताकि लोगों को क्रिप्टोकरेंसी ऐप या धोखाधड़ी वाले निवेश फंड में निवेश करने के लिए लुभाया जा सके. और जैसे ही इनमें से कुछ लोग निवेश करते हैं, उनसे सभी तरह का संचार बंद करके या ‘ब्लॉक’ कर दिया जाता है.
-भारत एक्सप्रेस
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