देश

“यह युग बदलने वाला विधेयक है”, Women Reservation Bill पर अमित शाह की बड़ी बातें

Women Reservation Bill: दूसरे दिन भी सदन में महिला आरक्षण विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) पर चर्चा जारी रही. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने विधेयक को अपना समर्थन दिया. हालांकि, केंद्र और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक जारी रही. दरअसल, 2010 में राज्यसभा में पहली बार पारित होने के बाद ’13 साल’ के बाद विधेयक लाने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र की आलोचना की गई थी. कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को लोकसभा में विधेयक पर अपनी पार्टी की बहस का नेतृत्व किया. इससे पहले मंगलवार को कांग्रेस ने विधेयक पेश किए जाने को ‘चुनावी जुमला’ और ‘महिलाओं की उम्मीदों के साथ बड़ा धोखा’ करार दिया था.

बीजेपी और मोदी के लिए यह राजनीतिक मुद्दा नहीं: अमित शाह

बुधवार को विपक्ष के तमाम सवालों के जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ” यह विधेयक युग बदलने वाला विधेयक है. पीएम मोदी ने मातृशक्ति को सम्मानित करने का काम किया है.” महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “…कुछ पार्टियों के लिए, महिला सशक्तिकरण एक राजनीतिक एजेंडा और चुनाव जीतने का एक राजनीतिक उपकरण हो सकता है, लेकिन बीजेपी और नरेंद्र मोदी के लिए यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है.”

यह भी पढ़ें: योगी कैबिनेट के विस्तार में क्यों हो रही देरी? जानें क्या है इसका घोसी कनेक्शन

शाह ने कहा कि कल का दिन भारतीय संसद के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. कल के दिन वर्षों से जो लंबित था वो महिलाओं को अधिकार देने का बिल सदन में पेश हुआ. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साधुवाद देना चाहता हूं.

उन्होंने कहा कि बिल के पारित होने से महिलाओं के अधिकारों की लंबी लड़ाई खत्म हो जाएगी. G 20 के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने महिला नेतृत्व वाले विकास का विजन पूरी दुनिया के सामने रखा.

क्या है महिला आरक्षण विधेयक ?

बता दें कि राजनीति में महिलाओं का अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्रता से पहले और संविधान सभा में भी चर्चा की गई थी. स्वतंत्र भारत में इस मुद्दे ने 1970 के दशक में ही जोर पकड़ लिया था. विधेयक में लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है. लगभग 27 वर्षों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक पर नए सिरे से जोर दिया जा रहा है. लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, जबकि कई राज्य विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम है. यह बिल सबसे पहले 12 सितंबर 1996 को संसद में पेश किया गया था. इसके बाद इस बार नए संसद भवन में नए सिरे से बिल पर चर्चा की जा रही है.

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

Recent Posts

दिल्ली हाईकोर्ट ने RSS सदस्य शांतनु सिन्हा पर दर्ज मानहानि के मामले में BJP नेता अमित मालवीय को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

RSS सदस्य शांतनु सिन्हा द्वारा अमित मालवीय के खिलाफ ‘बंगाली’ में एक फेसबुक पोस्ट किया…

5 hours ago

अफगानिस्तान में महिलाएं क्यों नारकीय जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं?

महिलाओं के खिलाफ घिनौने कृत्य अनंत काल से होते आ रहे हैं और ये आज…

5 hours ago

दिल्ली हाईकोर्ट ने चांदनी चौक के आसपास के क्षेत्रों से अवैध गतिविधियों को हटाने का दिया निर्देश

पीठ चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार कर रहा है,…

5 hours ago

PM Modi’s Gifts: Global Diplomacy में भारत की सांस्कृतिक धरोहर की झलक, राज्यों से भेजे गए ये उपहार

देश के विभिन्‍न राज्‍यों में तैयार किए गए गिफ्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं…

7 hours ago

जब एक हाथी को भीड़ के सामने दे दी गई थी फांसी, अमेरिका का ये काला इतिहास आपको झकझोर देगा

एक बेघर व्यक्ति को मारने के बदले में भीड़ ने तय किया कि हाथिनी मैरी…

8 hours ago