Jharkhand Assembly Election Results 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद चुनाव आयोग (Election Commission) ने 81 नवनिर्वाचित सदस्यों की सूची राज्यपाल को सौंप दी है. इसके साथ ही नई विधानसभा के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
इस बार गठित होने वाली विधानसभा में सदस्यों की संख्या 82 से घटकर 81 रह गई है. इसकी वजह यह है कि विधानसभा में 82वें विधायक के रूप में एंग्लो इंडियन समुदाय (Anglo Indian Community) के किसी व्यक्ति को मनोनीत करने की संवैधानिक व्यवस्था अब समाप्त हो गई है.
वर्ष 2019 में झारखंड की 5वीं विधानसभा का गठन होने के बाद राज्य सरकार ने मैकलुस्कीगंज (Mccluskieganj) निवासी ग्लेन जोसेफ गैल्स्टन (Glenn Joseph Galstaun) को सदन के 82वें सदस्य के रूप में मनोनीत किया था. 5वीं विधानसभा के विघटन की अधिसूचना जारी होते ही उनका यह स्टेटस समाप्त हो जाएगा.
ग्लेन जोसेफ गॉलस्टेन कहते हैं कि उन्हें इस बात का दुख है कि अब एंग्लो इंडियन समुदाय का कोई भी व्यक्ति झारखंड की विधानसभा में नहीं दिखेगा. देश की संसद और कई अन्य राज्यों की विधानसभाओं में भी 1952 से चली आ रही संवैधानिक व्यवस्था समाप्त कर दी गई है.
भारत के संविधान (Indian Constitution) के अनुच्छेद 334B में यह व्यवस्था की गई थी लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के अधिकतम दो सदस्यों का मनोनयन भारत के राष्ट्रपति करते थे, वहीं अनुच्छेद 333 के अंतर्गत राज्यों की विधानसभाओं में अधिकतम एक सदस्य को मनोनीत करने का अधिकार राज्यपाल के पास था.
जनवरी 2020 में संसद में पारित 126वें संविधान संशोधन के जरिये संसद और देश के 13 राज्यों की विधानसभाओं में एंग्लो इंडियन समुदाय के मनोनयन की व्यवस्था समाप्त कर दी गई. झारखंड जब एकीकृत बिहार का हिस्सा था, तब वहां विधानसभा के सदस्यों की संख्या 325 होती थी. 324 विधायक विभिन्न क्षेत्रों से निर्वाचित होते थे. जबकि, 325वें सदस्य के रूप में एंग्लो इंडियन समुदाय से एक व्यक्ति का मनोनयन होता था.
झारखंड जब नवंबर 2000 में अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया, तब एंग्लो इंडियन विधायक का कोटा बिहार से झारखंड ट्रांसफर हो गया. इसके बाद जोसेफ पंचोली ग्लेस्टिन 2005 में पहले एंग्लो इंडियन विधायक मनोनीत किए गए. 2009 में उनका दूसरी बार मनोनयन हुआ. 2014 और 2019 में उनके पुत्र ग्लेन जोसेफ गॉलस्टेन विधायक मनोनीत किए गए थे.
अपने तीसरे और अंतिम कार्यकाल में गैल्स्टन भारतीय राजनीति में एक अद्वितीय स्थान रखते थे. गैल्स्टन के साथ लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक प्रतिनिधित्व की ये परंपरा खत्म हो गई. एंग्लो-इंडियन समुदाय, भारतीय और यूरोपीय पूर्वजों का मिश्रण है, जिसकी जड़ें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के युग से जुड़ी हैं. ब्रिटिश अधिकारियों और स्थानीय महिलाओं के बीच विवाह को बढ़ावा देने से इस विशिष्ट समुदाय का गठन हुआ, जिसे भारत सरकार अधिनियम, 1935 में आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई. 2011 की जनगणना के अनुसार, समुदाय का आकार उल्लेखनीय रूप से छोटा है, 2019 में इसके केवल 296 सदस्य बताए गए हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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