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‘पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करे सीबीआई’, केजरीवाल को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा

Arvind Kejriwal Bail: शराब नीति मामले में कथित आरोपी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आखिरकार 177 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल ही गई. कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की ओर से दायर दोनों याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया. इस दौरान जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने सीबीआई पर टिप्पणी करते हुए कहा- सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करना चाहिए और दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे से बाहर होता है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी है. केजरीवाल पब्लिक मंच से इस केस से संबंधित बयान नहीं दे सकते हैं. साथ ही इस केस से संबंधित किसी भी गवाह से सम्पर्क नहीं करेंगे और ना ही बातचीत करेंगे. केजरीवाल को मुकदमे की जांच में सहयोग करना होगा.

जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने सीबीआई को लगाई फटकार

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा की ईडी मामले में अंतरिम जमानत के समय लगाई गई शर्ते इस मामले पर लागू होगा. जबकि, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने सीबीआई को लताड़ लगाते हुए कहा कि सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करना चाहिए और दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे से बाहर तोता है, उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी केवल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को दी गई जमानत को विफल करने के लिए थी. उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई ने 22 महीने तक केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया और ईडी मामले में उनकी रिहाई के ठीक पहले उन्हें गिरफ्तार कर लिया. सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के समय पर गंभीर सवाल उठाते हुए केंद्रीय एजेंसी द्वारा देर से की गई गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट ने अनुचित ठहराया है.

तर्क में कोई दम नहीं: जस्टिस सूर्यकांत

वहीं, सीएम केजरीवाल की सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला देते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि इस तर्क में कोई दम नहीं है कि सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार करते समय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के निर्देशों का पालन नहीं किया. उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई पहले से हिरासत में है, जांच के सिलसिले में उसे दोबारा गिरफ्तार करना गलत नहीं है. सीबीआई ने बताया कि उनकी जांच क्यों जरूरी थी. कोर्ट ने कहा कि सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी अवैध नहीं है. सीबीआई ने नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया है. उन्हें जांच की जरूरत थी. इसलिए इस केस में गिरफ्तारी हुई.

हरियाणा चुनाव में प्रचार करने पर पाबंदी नहीं

जबकि, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने कहा कि सीबीआई की गिरफ्तारी जवाब से ज्यादा सवाल खड़े करती है. जैसे ही ईडी केस में उन्हें जमानत मिलती है. सीबीआई एक्टिव हो जाती है. ऐसे में गिरफ्तार के समय पर सवाल खड़े होते हैं. सीबीआई को निष्पक्ष दिखना चाहिए और हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए, ताकि गिरफ्तारी में मनमानी न हो. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा सीएम केजरीवाल को हरियाणा चुनाव में प्रचार प्रसार करने पर कोई पाबंदी नहीं है. केजरीवाल को जब भी जांच एजेंसी बुलाएगी उन्हें जाना पड़ेगा. बता दें कि अब तक इस मामले में सीएम केजरीवाल सहित 12 लोगों को नियमित जमानत मिल चुकी है. जबकि, 2 लोगों को अंतरिम जमानत मिली है. बाकी चार लोगों की जमानत याचिका अदालतों में लंबित है.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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