रामलला की मूर्ति-निर्माण के लिए शालिग्राम शिला अयोध्या पहुंच गई है. बड़ी संख्या में लोग पूजा-अर्चना व दर्शन करने के लिए उमड़ रहे हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉक्टर अनिल मिश्र, निवर्तमान महापौर ऋषिकेश उपाध्याय सहित अन्य भाजपा नेताओं ने पुष्पवर्षा कर शिला का स्वागत किया और विधि-विधान से आराधना की लेकिन दूसरी ओर जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा है कि इस पर छैनी-हथौड़ी कैसे चलेगी क्योंकि शालिग्राम शिला खुद में ही भगवान का स्वरूप है. उसकी इसी स्वरूप में पूजा-अर्चना की जाए तो ही अच्छा है.
बता दें कि नेपाल के जनकपुर से चलकर शालिग्राम शिला बुधवार की देर रात रामनगरी अयोध्या पहुंच गई थी और गुरुवार की सुबह से ही लोग पूजा-अर्चना के लिए उमड़ रहे हैं. भगवान विष्णु का स्वरूप मानी जाने वाली शालिग्राम शिला का रामनगरी में भव्य अभिनंदन किया जा रहा है. सुबह से ही शुरू हुई पूजा अबतक अनवरत जारी है. इस दौरान शिला स्थल पर लोगों ने जय श्री राम के जयकारे भी लगाए और जमकर आतिशबाजी की. रामसेवक पुरम कार्यशाला पहुंची शिला का श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी व सृष्टि महंत देवेंद्र दास ने स्वागत किया. भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच क्रेन के माध्यम से शिला को रामसेवक पुरम में गाड़ी से उतार कर रखा गया. इससे पूर्व वैदिक आचार्यों के निर्देशन में शालिग्राम की आरती भी उतारी गई.
शालिग्राम शिला को नेपाल की पवित्र गंडक नदी से निकाला गया है. अयोध्या में ये दो विशालकाय पत्थर लाए गए हैं जिनसे रामलला के साथ ही माता जानकी की भी मूर्ति बनाई जाएगी. 26 जनवरी को जानकपुर से पूजा-अर्चना के बाद शिला को अयोध्या के लिए रवाना किया गया था.
पूरी दुनिया कर रहा राम मंदिर का अभिनंदन
जानकी मंदिर से जुड़े महंत राम रोशन दास ने कहा कि – शालिग्राम शिला को विष्णु का अवतार माना गया है. शालिग्राम शिला में प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जाती है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरा विश्व राम मंदिर का हार्दिक अभिनंदन कर रहा है और राम मंदिर बन भी रहा है. यहां से हम लोगों को कहा गया था कि अगर वहां इस आकार और इस गुणवत्ता का पत्थर उपलब्ध हो तो हम राम के बाल स्वरूप की प्रतिमा उसी से बनाएंगे. वही शिला जनकपुरवासी हर्षित होकर लेकर आए हैं.
सरकार शुरू करे जनकपुर अयोध्या ट्रेन सेवा
शिला यात्रा के साथ अयोध्या पहुंचे जनकपुर के मेयर मनोज कुमार शाह ने कहा कि पहले नेपाल से राम लला के धनुष देने की बात कही गई थी. बाद में शालिग्राम शिला की बात आई. नेपाल सरकार द्वारा ऑर्कियोलॉजिकल टेस्ट कराने के बाद शिला जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास को सौंपी गई. उसके बाद हम यात्रा लेकर निकले हैं. शालिग्राम शिला यात्रा से द्वापर-त्रेता का संबंध कलियुग में प्रगाढ़ हो रहा है. उन्होंने कहा कि नेपाल व भारत सरकार से हमारी मांग है कि जनकपुर अयोध्या के बीच एक रेल सेवा शुरू की जाए जिससे आवागमन आसान होगा और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.
देखें क्या है जगतगुरु परमहंस आचार्य की मांग
शिला के अयोध्या पहुंचने के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है. जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने श्री राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को एक पत्र दिया है. इस सम्बंध में जगद्गुरु ने मीडिया को बताया कि – जो नेपाल से चार शालिग्राम शिलाएं आई हैं, दो बड़ी और दो छोटी, 4 प्रदत्त की गई हैं, वे चारों भाइयों का स्वरूप हैं. मूर्ति बनाने के बाद शिलाओं में वैदिक विधि से प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है. तब भगवान की पूजा होती है. लेकिन शालिग्राम ऐसे हैं जिनमें इसकी जरूरत नहीं होती, वह स्वयं भगवान हैं और जीवाश्म हैं. अगर भगवान हैं तो उनके ऊपर कैसे हथौड़ी-छेनी चलेगी. इसलिए इसी रूप में उनको बैठा करके रामलला स्वरूप मानकर पूजा-अर्चना शुरू कराई जाए. इसी संदर्भ में पत्र देकर मांग की है कि शिलाओं पर छैनी हथौड़ी न चलाई जाए.
-भारत एक्सप्रेस
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