नई दिल्ली – केंद्र ने एफएम रेडियो प्रसारण सेवाओं के विस्तार पर नीति दिशा-निर्देशों में निहित कुछ प्रावधानों में संशोधन को मंजूरी दे दी है, जिन्हें प्राइवेट FM फेज-3 पॉलिसी गाइडलाइन्स कहा जाता है. इस दिशा में सरकार ने 15 साल की लाइसेंस अवधि के दौरान एक ही मैनेजमेंट ग्रुप के अंदर एफएम रेडियो परमिशन के पुनर्गठन के लिए तीन साल की अवधि को हटाने का फैसला किया है.
सरकार ने चैनल होल्डिंग पर 15 प्रतिशत की राष्ट्रीय सीमा को हटाने के लिए रेडियो इंडस्ट्री की लंबे समय से लंबित मांग को भी स्वीकार कर लिया है. इसके अलावा, एफएम रेडियो नीति में वित्तीय पात्रता मानदंडों के सरलीकरण के साथ, एक आवेदक कंपनी अब ‘सी’ और ‘डी’ कैटेगिरी के शहरों के लिए बोली लगाने में भाग ले सकती है, जिनकी कुल संपत्ति पहले 1.5 करोड़ रुपये के स्थान पर सिर्फ एक करोड़ रुपये है. यह फैसला पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अनुसार, ये तीन संशोधन मिलकर निजी एफएम रेडियो इंडस्ट्री को पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का पूरी तरह से लाभ उठाने में मदद करेंगे और देश के टियर-3 शहरों में एफएम रेडियो और मनोरंजन के और विस्तार का मार्ग प्रशस्त करेंगे. इससे न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि एफटीए (फ्री टू एयर) रेडियो मीडिया पर म्यूजिक और एंटरटेनमेंट देश के दूरदराज के कोनों में आम आदमी के लिए उपलब्ध है.
देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बेहतर बनाने के लिए सरकार का जोर मौजूदा नियमों के सरलीकरण पर रहा है, ताकि शासन को अधिक कुशल और प्रभावी बनाया जा सके और इसका लाभ आम आदमी तक पहुंच सके.
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