Bihar Politics: राजनीति (Politics) में मिलना और बिछड़ना बदस्तूर जारी रहता है, इसे ना कोई रोक पाया है और ना ही कोई रोक पाएगा. राजनीति समय, परिस्थितियों (Situations) और सम्भावनाओं (Possibilities) का खेल है इसलिए कब कौन किसके साथ चला जाये इसका अनुमान लगाना कठिन है. आपातकाल और जेपी आंदोलन से निकले नेताओं का गले मिलना और फिर मुह मोड़ना आज भी ज़ारी है.
ताज़ा मामला बिहार (Bihar) की राजनीति में एक उलटफेर से जुड़ा हुआ है. भारत सरकार के पूर्व मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की राहें तीसरी बार अलग हो गईं हैं.
उपेंद्र कुशवाहा ने 80 के दशक के मध्य में यानी 1985 में अपने राजनीतिक करियर (Political Carrier) की शुरूआत की थी. उस समय समता पार्टी के नेता जॉर्ज फर्नांडिस थे और नीतीश कुमार भी उसी पार्टी में हुआ करते थे, जो आगे चलकर बिहार के मुख्यमंत्री (Chief Minister) भी बने.
साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में हार के बाद के दिनों में समता पार्टी और जदयू का विलय हो गया. साल 2000 में उपेन्द्र कुशवाहा पहली बार बिहार विधान सभा (Bihar Assembly) के सदस्य (MLA) बने थे और उप नेता बिहार विधान सभा के रूप में नियुक्त हुए. मार्च 2004 में लोकसभा चुनाव के बाद सुशील मोदी लोकसभा के लिए चुने गए और उसी समय जद (यू) के विधायकों की संख्या भाजपा की तुलना में बढ़ जाने के बाद उपेन्द्र कुशवाहा बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता (Opposion Leader) बन गए. वह एक बार 2010-2013 तक राज्यसभा (Rajya Sabha) के भी सदस्य रहे और वर्तमान समय में 2021 से विधान परिषद (MLC) के सदस्य हैं.
2014 में हुए लोकसभा चुनाव में वह अपने दल का गठबंधन भाजपा के साथ करके एनडीए का हिस्सा बन गये. चुनावी नतीज़े एनडीए के पक्ष में आये और उपेन्द्र कुशवाहा काराकट लोकसभा से सांसद (Member of Parliament) निर्वाचित हुए, बाद में उनको मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री (H.R.D., Minister of State) बनाया गया.
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यह कोई पहला अवसर नहीं है जब उपेन्द्र कुशवाहा की नीतीश कुमार से राजनीतिक राहें अलग हुई हैं. 2005 में जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने उसी साल पहली बार इन दोनों के रिश्तों में दूरी आ गई और 2007 में इन्होंने जदयू से किनारा करते हुए खुद के दल राष्ट्रीय समता पार्टी (RSP) का गठन किया, कुछ समय बाद दोनों की राहें एक हो गईं. साल था 2013 और लोकसभा चुनाव (Parliamentary Story) की सरगर्मियां तेज थीं. उसी वक्त जहानाबाद (Jahanabad) के पूर्व सांसद अरुण कुमार (Ex MP Arun Kumar) के साथ मिलकर उपेन्द्र कुशवाहा ने रालोसपा (RLSP) का गठन किया और जदयू से अलग हो गये.
2021 में वह फिर नीतीश कुमार के नज़दीक आये और 20 फरवरी 2023 को उन्होंने फिर जदयू से किनारा करते हुए अपने राष्ट्रीय लोक जनता दल (Rashtriya Lok Janata Dal) का गठन करने की आधिकारिक घोषणा करते हुए जदयू (JDU) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.
-भारत एक्सप्रेस
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