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यूपी की सीटों का सर्वे करा रही BJP, लापरवाह नेताओं पर भारी पड़ेगी शीर्ष नेतृत्व की नाराजगी, 25 से 30 सांसदों के कटेंगे टिकट

बीजेपी अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने के लक्ष्य पर भाजपा ने अपना सारा फोकस कर दिया है. इन सीटों पर फतह पाने के लिए बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व लगातार बैठकें कर रहा है और सांसदों के रिपोर्ट कार्ड पर फीडबैक ले रहा है. सूत्रों का कहना है कि इस बार यूपी में 25 से 30 सांसदों का टिकट कटना तय माना जा रहा है. जिसमें कुछ की परफॉर्मेंस रिपोर्ट उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही है उनके और कुछ ऐसे सांसद हैं जो 75 साल की उम्र को पार चुके हैं.

सांसदों की लापरवाही पर नाराज शीर्ष नेतृत्व

बीजेपी मोदी सरकार के कार्यकाल के 9 साल पूरे के मौके पर महा जनसंपर्क अभियान चला रही है. जिसमें सांसदों को अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में जनसभा करने के भी निर्देश दिए हैं. जनसभा में 10 हजार लोगों की भीड़ इकट्ठा करने को कहा गया है. ऐसे में कई सांसदों की जनसभा में काफी कम भीड़ पहुंचने से आलाकमान नाराज हो गए हैं. पहले ये महा जनसंपर्क अभियान 30 जून तक चलाया जा रहा था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 10 जुलाई तक कर दिया गया है. इसके साथ ही फिसड्डी सांसदों को दोबारा अपने क्षेत्र में जनता के बीच जाने के लिए कहा गया है. सांसदों की लापरवाही से नाराज हाईकमान अब इन सांसदों का टिकट काटने की तैयारी कर रहा है.

बैठक में नाराज दिखे सुनील बंसल

सूत्रों का दावा है कि महा जनसंपर्क अभियान को देख रहे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने सांसदों की कार्यशैली पर नाराजगी जताई है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नेताओं के साथ की गई बैठक में उन्होंने साफ संदेश दे दिया है कि जिन सांसदों ने लापरवाही दिखाई है उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं, इसका मतलब साफ है कि आगामी चुनाव में अब टिकट पर तलवार लटक चुकी है.

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इन सांसदों का कटेगा टिकट

बीजेपी ने इन नेताओं के क्षेत्रों को सर्वे करा रही है. जिसमें कई ऐसे सांसद हैं जिनके लिए कार्यकर्ताओं की तरफ से अच्छा फीडबैक नहीं दिया गया है. जिससे बीजेपी इन सीटों पर नए चेहरों को तरजीह देने की सोच रही है. मौजूदा सांसदों के अलावा अन्य अन्य नेताओं की भी एक लिस्ट बनाई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, उन सांसदों का टिकट कटना एकदम पक्का हो गया है जो 75 की उम्र को पार कर चुके हैं. बीजेपी इस बार 2014 और फिर 2019 में जिन सीटों पर हारी थी, उसे दोहराना नहीं चाहती है. इसलिए बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने के साथ ही जातीय समीकरण को भी साधने में जुटी हुई है.

-भारत एक्सप्रेस

Shailendra Verma

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