प्रशांत राय
Buxar Protest: बिहार के बक्सर जिले के चौसा प्रखंड के बनारपुर गांव में 10 जनवरी को किसानों के घर में घुसकर पुलिस द्वारा पिटाई किए जाने का वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो के वायरल होने के बाद इलाके में हिंसा भड़क उठी थी. उग्र किसानों ने पुलिस की कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया था. पूरे घटनाक्रम के बाद बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी 13 जनवरी को देर शाम बक्सर पहुंचे, जंहा सबसे पहले उन्होंने मौन व्रत पर बैठे स्थानीय सांसद अश्विनी चौबे से मुलाकात की.
उसके बाद सुशील मोदी बनारपुर पहुंचे, जंहा किसानों ने बीजेपी नेता से पूछा कि 4 महीने पहले नीतीश कुमार के साथ आप ही सरकार में थे, उसके बाद भी समस्याओं का समाधान क्यों नहीं हुआ? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका अधिकार केवल मुखिया के पास होता है, सहयोगी के पास नहीं.
सुशील मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि 1974 के जेपी आंदोलन के दौरान भी पुलिस ने आंदोलनकारियों के साथ इतनी बर्बरता नहीं की थी, जितनी बनारपुर के किसानों के साथ बक्सर की पुलिस ने बर्बरता की है. उन्होंने कहा कि जिस अधिकारी का 8 महीने पहले जिला बदर तबादला हो गया था, आखिर उसे 8 महीने तक इस थाने में थानेदार कैसे बनाए रखा गया?
राज्यसभा सांसद ने कहा कि लाइन हाजिर किसी समस्या का समाधान नहीं है. इस प्रकरण में शामिल तमाम अधिकारियों को पहले बर्खास्त किया जाए, किसानों को अनावश्यक बदले की भावना से पुलिस परेशान ना करे और राज्य सरकार के मुखिया नीतीश कुमार अविलंब 2022 के सर्किल रेट से किसानों की जमीन के मुआवजे का भुगतान करने का आदेश जारी करें. सुशील मोदी ने कहा, “यह अधिकार न तो सरकार में शामिल कांग्रेस, राजद, भाकपा समेत अन्य पार्टियों के पास है औ न ही भाजपा के पास है. सरकार के मुखिया ही ये आदेश पारित कर सकते हैं. इसलिए सरकार में होते हुए भी हम किसानों के लिए कुछ नहीं कर पाए.”
वहीं रामचरितमानस को लेकर शुरू हुए विवाद पर उन्होंने कहा, “बिहार के शिक्षा मंत्री ने यदि किसी अन्य धर्म ग्रंथ के बारे में इस तरह की विवादित टिप्पणी की होती तो आज वह जिंदा नहीं होते. हम लोग हिंदू हैं, इसलिए जिसको जो मन करता है बयान देते रहता है. शिक्षा मंत्री को बर्खास्त करें मुख्यमंत्री, नहीं तो आगे क्या करना है वह बीजेपी तय करेगी. हैरानी होती है कि बिहार के मुख्यमंत्री से जब भी किसी बड़ी घटना के बारे में पत्रकार पूछते हैं तो वह ये कहकर टाल जाते हैं कि हमें इस बात की जानकारी ही नहीं है. फिर आप किस बात के मुख्यमंत्री बने हुए हैं कि जब आप की पकड़ प्रशासन पर इतनी ढीली है.”
चौसा में निर्माणाधीन पावर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण मामले में किसान उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं. किसान इस मांग को लेकर लगभग तीन महीने से आंदोलन कर रहे हैं. इसी बीच पुलिस आधी रात को उनके घरों में घुस गई और सोते हुए लोगों की पिटाई की. इस बाद बक्सर का चौसा प्रखंड सुलग उठा.
-भारत एक्सप्रेस
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