केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सोमवार (8 अप्रैल) गलत मकान किराया भत्ता (House Rent Allowance/HRA) दावों से संबंधित मामलों को बड़े पैमाने पर फिर से खोलने का सुझाव देने वाली मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया है. सीबीडीटी ने स्पष्ट किया कि ‘इन मामलों पर पूर्वव्यापी कराधान (Retrospective Taxation) और मामलों को फिर से खोलने की आशंकाएं पूरी तरह से निराधार हैं.’
उन रिपोर्टों का खंडन करते हुए कि विभाग द्वारा एचआरए से संबंधित मामलों को फिर से खोलने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है. सीबीडीटी ने यह भी कहा कि किरायेदार द्वारा भुगतान किए गए किराये और प्राप्तकर्ता द्वारा प्राप्त किराये का सत्यापन ‘छोटी संख्या’ में किया गया था.
सीबीडीटी ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कर्मचारी द्वारा भुगतान किए गए किराये और प्राप्तकर्ता द्वारा किराये की रसीद के बीच बेमेल के कुछ उच्च मूल्य वाले मामलों में डेटा विश्लेषण किया गया था.’
सीबीडीटी ने एक बयान में कहा, ‘यह सत्यापन बड़ी संख्या में मामलों को दोबारा खोले बिना कम संख्या में मामलों में किया गया था, खासकर जब से वित्त वर्ष 2020-21 (AY 2021-22) के लिए अपडेटेड रिटर्न संबंधित करदाताओं द्वारा केवल 31/03/2024 तक दाखिल किया जा सकता था.’
इसमें कहा गया है कि ई-सत्यापन का उद्देश्य दूसरों को प्रभावित किए बिना केवल वित्त वर्ष 2011 के लिए जानकारी के बेमेल मामलों के बारे में सचेत करना था. सीबीडीटी ने कहा कि करदाता द्वारा दायर की गई और आयकर विभाग के पास उपलब्ध जानकारी के बेमेल होने के कुछ मामले डेटा के सत्यापन के रूटीन अभ्यास के हिस्से के रूप में विभाग के ध्यान में आए हैं. ऐसे मामलों में विभाग ने करदाताओं को सचेत किया है, ताकि वे सुधारात्मक कार्रवाई कर सकें.
एचआरए वेतन आय या सीटीसी का हिस्सा बनता है और इसकी गणना कर योग्य आय में की जाती है. हालांकि, अगर कोई कर्मचारी किराये के आवास में रहता है, तो वह वैध किराया रसीद जमा करके वर्ष के दौरान प्राप्त एचआरए के लिए आयकर छूट का दावा कर सकता है. आयकर अधिनियम की धारा 10(13ए) के तहत एचआरए कर छूट प्रदान की जाती है. हालांकि, अगर करदाता नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं, जिसमें छूट नहीं है, तो कर छूट उपलब्ध नहीं है.
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बता दें कि पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कुछ भ्रामक दावे किए जा रहे थे, जिसमें कहा जा रहा था कि गलत तरीके से HRA क्लेम करने वालों के खिलाफ CBDT की तरफ से विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इसके साथ ही इन मामलों की जांच के लिए इन्हें री-ओपन किया जा रहा है. अब सीबीडीटी ने इन खबरों को बेबुनियाद और अफवाह करार दिया है.
-भारत एक्सप्रेस
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