सीबीआई ने 20 दिसंबर 2024 को, अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर फ्रॉड के मामले में तीन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. यह मामला अमेरिका, कनाडा जैसे देशों के विदेशी नागरिकों को निशाना बनाकर क्रिप्टोकरेंसी/बिटकॉइन के जरिए 260 करोड़ रुपये की ठगी से जुड़ा है. आरोपियों में तुषार खरबंदा, गौरव मलिक और अंकित जैन शामिल हैं. इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी, 420, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
सीबीआई ने यह मामला रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) द्वारा नेशनल सेंट्रल ब्यूरो, इंडिया को दी गई जानकारी के आधार पर दर्ज किया था. एफआईआर में कहा गया है कि आरोपी तुषार खरबंदा ने RCMP अधिकारी बनकर एक पीड़ित को झांसा दिया कि उनकी पहचान का दुरुपयोग हो रहा है. इसके बाद आरोपी ने पीड़ित को डरा-धमकाकर 93,000 कनाडाई डॉलर बिटकॉइन एटीएम के माध्यम से अपने क्रिप्टो वॉलेट में ट्रांसफर करवाए.
सीबीआई की जांच में सामने आया कि तुषार खरबंदा, जो नोएडा का निवासी है, दिल्ली और नोएडा में संचालित एक फर्जी कॉल सेंटर के जरिए अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को ठग रहा था. इस कॉल सेंटर में 150 से अधिक टेली-कॉलर कार्यरत थे, जो विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों, अमेजन सपोर्ट, माइक्रोसॉफ्ट टेक सपोर्ट आदि के प्रतिनिधि बनकर लोगों को धोखा देते थे.
सीबीआई ने आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की और उनके डिजिटल उपकरण जब्त किए. इन उपकरणों में कई फ्रॉड स्कीम के स्क्रिप्ट्स, अमेरिकी सोशल सिक्योरिटी प्रशासन के अधिकारियों के रूप में फर्जी प्रस्तुतिकरण और पीड़ितों के विवरण मिले.
जांच में पता चला कि आरोपी अंकित जैन ने तुषार खरबंदा को क्रिप्टो वॉलेट प्रबंधन में मदद की और विदेशी पीड़ितों से मिले बिटकॉइन को USDT में परिवर्तित किया. जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी और उनके साथियों ने 316 बिटकॉइन, जो 260 करोड़ रुपये के बराबर हैं, अपने वॉलेट में प्राप्त किए और इस रकम को दुबई में निकाल लिया.
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सीबीआई की जांच ने एक संगठित साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जो अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर साइबर अपराध को अंजाम देता है और फिर अपराध से अर्जित धन को धोखाधड़ी और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से बदलता है. इस मामले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी जड़ें हैं, जो साइबर सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है.
-भारत एक्सप्रेस
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