चंद्रयान 3 मिशन की सफलता को लेकर पूरा देश दुआएं कर रहा है. इसी बीच इसरो ने बड़ी जानकारी दी है. इसरो ने कहा है कि लैंडर की स्पीड को कम कर लिया गया है. अब लैंडर चांद की तरफ जाने वाली कक्षा में मुड़ गया है. इसके साथ ही इसरो ने यह भी कहा कि अभी तक जो सिग्नल आ रहे हैं उसके मुताबिक स्थिति सामान्य है. अगले कुछ घंटे इस मिशन का भविष्य तय करेंगे.
इसरो ने जानकारी देते हुए बताया कि आगे अभी बड़ी चुनौती रहेगी कि लैंडर की स्पीड चांद पर उतरने के समय भी कम रहे. जिससे सॉफ्ट लैंडिंग कराई जा सके.
बता दें कि सॉफ्ट लैंडिंग करते वक्त विक्रम के पास सबसे बड़ी चुनौती अपनी गति को कम करते हुए चांद तक पहुंचना होगा क्योंकि, अब तक की दूरी ‘प्रोपल्शन मॉड्यूल’ ने तय कराई है. लेकिन, अब लैंडर विक्रम को खुद से चांद तक पहुंचना होगा. अब विक्रम लैंडर गोलाकार ऑर्बिट में भी नहीं घूमेगा, अब यह 30 किमी X 100 किमी की अंडाकार ऑर्बिट के चक्कर लगाने के लिए अपनी ऊंचाई कम करेगा. गति को धीमा करने के लिए इसके इंजनों को रेट्रोफायरिंग यानी उल्टी दिशा में घुमाया जाएगा.
बता दें कि चंद्रमा पर मौसम अनुकूल नहीं रहता है. दक्षिणी ध्रुव पर हालात तो और ज्यादा कठिन होते हैं. अभी तक कोई भी देश चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंच सका है. चांद की सतह पर उतरने वाले अभी तक के सारे अंतरिक्ष यान भूमध्यरेखीय क्षेत्र या उत्तर-दक्षिण के आसपास उतरे हैं. दक्षिणी ध्रुव पर रोशनी भी काफी कम होती है और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां पर बर्फ का फॉर्म में पानी मिल सकता है. अगर भारत सॉफ्ट लैंडिंग कर लेता है, तो प्रज्ञान रोवर यहां से कई सारी बहुमूल्य जानकारियां भेज सकता है, जो आने वाले दिनों में स्पेस साइंस में मील का पत्थर साबित होगा.
-भारत एक्सप्रेस
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