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विदेशी मुद्रा लेन-देन के लिए समान बैंक संहिता तैयार करने के लिए हमारे के पास न तो साधन हैं और न विशेषज्ञता: HC

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि कालेधन और बेनामी लेनदेन पर लगाम लगाने के लिए विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए समान बैंकिंग कोड तैयार करने के लिए उसके पास न तो साधन हैं और न ही विशेषज्ञता. कोर्ट ने निर्देश दिया कि समान बैंकिंग कोड लागू करने की मांग वाली याचिका को वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रतिनिधित्व के रूप में माना जाए, जो गृह मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक से भी इनपुट लेगा.

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा इस कोर्ट का मानना है कि विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए समान बैंकिंग कोड तैयार करने के लिए उसके पास न तो साधन हैं और न ही विशेषज्ञता. इसके अनुसार याचिका को वित्त मंत्रालय द्वारा एक प्रतिनिधित्व के रूप में माना जाने का निर्देश दिया जाता है, जिसे गृह मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक से इनपुट लेने के बाद यथासंभव शीघ्रता से निर्णय लेने का निर्देश दिया जाता है.

पीठ ने यह निर्देश याचिकाकर्ता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका का निपटारा करतेहुए दिया. याचिका में विदेशी धन के हस्तांतरण के संबंध में प्रणाली में खामियों को उजागर किया गया था, जिसका उपयोग अलगाववादियों, नक्सलियों, माओवादियों, कट्टरपंथियों और आतंकवादियों द्वारा किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- ‘धर्म’ और ‘मजहब’ के बीच अंतर बताने से जुड़ी जनहित याचिका को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को दिए निर्देश

याचिका में यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश मांगा गया कि रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम (आईएमपीएस) का उपयोग भारतीय बैंकों में विदेशी धन जमा करने के लिए नहीं किया जाए.

याचिकाकर्ता ने कहा है कि यह न केवल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि इसका इस्तेमाल अलगाववादियों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, माओवादियों, आतंकवादियों को धन मुहैया कराने के लिए भी किया जा रहा है.

उन्होंने कहा है कि वीजा के लिए आव्रजन नियम एक जैसे हैं, चाहे कोई विदेशी बिजनेस क्लास या इकोनॉमी क्लास में आए, एयर इंडिया या ब्रिटिश एयरवेज का इस्तेमाल करे और यूएसए या युगांडा से आए.

-भारत एक्सप्रेस 

गोपाल कृष्ण

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