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टेरर फंडिंग मामले में राशिद इंजीनियर की जमानत याचिका पर 5 अक्तूबर को आएगा फैसला

टेरर फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद बारामुला से सांसद राशिद इंजीनियर की ओर से दायर नियमित जमानत याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट 5 अक्टूबर को फैसला सुनायेगा. हाल ही में कोर्ट ने राशिद इंजीनियर को जम्मू कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनाव में प्रचार प्रसार के लिए अंतरिम जमानत दिया है. कोर्ट से राशिद इंजीनियर को 2 अक्टूबर तक के लिए अंतरिम जमानत मिली है. अंतरिम जमानत की अवधि खत्म होने के बाद राशिद इंजीनियर को तिहाड़ जेल में सरेंडर करना पड़ेगा. राशिद इंजीनियर ने जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रचार के लिए तीन महीने के लिए अंतरिम जमानत मांगी थी.

राशिद इंजीनियर के भाई खुर्शीद अहमद अवामी इत्तिहाद पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर उतरी कश्मीर की लंगेट सीट से 2024 का विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उमर अब्दुल्ला के खिलाफ लोकसभा चुनाव जीतने से पहले इंजीनियर राशिद इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. अदालत ने इससे पहले पांच जुलाई को राशिद को जम्मू कश्मीर के बारामूला निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद शपथ लेने के लिए हिरासत में पैरोल दी थी.

टेरर फंडिंग मामले में 2019 से जेल में बंद

राशिद इंजीनियर ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को हराया था. राशिद इंजीनियर शेख अब्दुल रशीद के नाम से भी जाना जाता है. वह 2017 के आतंकवादी वित्तपोषण (टेरर फंडिंग) मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत NIA द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से रशीद 2019 से जेल में बंद हैं.

बता दें कि कश्मीरी कारोबारी जहूर वटाली से पूछताछ के दौरान पूर्व विधायक शेख अब्दुल राशिद का नाम सामने आया था. NIA ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों को फंड देने के आरोप में वटाली को गिरफ्तार किया था. पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब बट्ट उर्फ पीर सैफुल्ला के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.

NIA के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, जैश-ए- मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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