देश

घर खरीदने वाले को मानसिक पीड़ा देने पर अदालत ने राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम पर लगाया 5 लाख रुपये का जुर्माना, कहा- यह रकम पीड़ित को दें

दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) को एक घर खरीदार को अत्यधिक मानसिक पीड़ा देने के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. अदालत ने कहा- जुर्माने की राशि याची को प्रदान की जाए.

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि घर खरीदार को मानसिक परेशानी तब हुई जब एनबीसीसी ब्याज सहित उसका पैसा वापस करने में विफल रहा, भले ही जिस भवन परियोजना में उसने निवेश किया था उसमें संरचनात्मक दोष पाए गए.

अदालत ने बिल्डर (एनबीसीसी) को घर खरीदार द्वारा भुगतान की गई 76 लाख की पूरी राशि 30 जनवरी, 2021 से 12 प्रतिशत ब्याज की दर के साथ वापस करने का निर्देश दिया है.

अदालत ने कहा कि यह एक क्लासिक मामला है जहां एक घर खरीदने वाले को घर खरीदने के लिए अपनी पूरी जिंदगी की बचत खर्च करने के बाद दर-दर भटकना पड़ता है.

अदालत ने केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एनबीसीसी के रुख को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता जैसे घर खरीदार को अपनी पीठ के बल संघर्ष करना पड़ता है, क्योंकि उसके पास न तो आवास है और न ही जीवन भर की कोई बचत, क्योंकि घर खरीदने में वह सब डूब गया है.

कोर्ट ने कहा कि फ्लैट के लिए कुल भुगतान 2017 में किया गया था, और एनबीसीसी द्वारा निर्मित इमारत में संरचनात्मक दोष थे, जिसके कारण घर खरीदार को अधर में छोड़ दिया गया था.

इसमें कहा गया है कि एनबीसीसी घर खरीदार द्वारा भुगतान किए गए पैसे पर ब्याज देने से इनकार नहीं कर सकता है और इस तरह के कृत्य से गंभीरता से निपटा जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि घर खरीदना किसी व्यक्ति या परिवार द्वारा अपने जीवनकाल में किए गए सबसे महत्वपूर्ण निवेशों में से एक है, और इसमें वर्षों की बचत, सावधानीपूर्वक योजना और भावनात्मक निवेश शामिल है.

उन्होंने कहा जब ऐसे घरों के निर्माता वादे को पूरा करने में विफल रहते हैं, तो वे घर खरीदारों के विश्वास और वित्तीय सुरक्षा को चकनाचूर कर देते हैं और घर खरीदारों को ऐसी स्थिति में डाल देते हैं, जहां उन्हें अत्यधिक तनाव, चिंता, अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है और अंततः सहारा लेने के लिए कानूनी रास्ते अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

न्यायालय ने यह आदेश संजय रघुनाथ पिपलानी नाम के एक घर खरीदार द्वारा दायर याचिका पर पारित किया, जिसमें कहा गया था कि वह 2012 में एनबीसीसी द्वारा शुरू की गई एनबीसीसी ग्रीन व्यू अपार्टमेंट परियोजना में एक फ्लैट मालिक है.

पिपलानी ने तर्क दिया था कि फ्लैट की पूरी बिक्री लागत का भुगतान करने के बावजूद, फ्लैट उन्हें कभी नहीं सौंपा गया। यहां तक कि उन्हें कोई वैकल्पिक फ्लैट भी नहीं दिया गया और न ही उचित ब्याज के साथ रिफंड दिया गया.

— भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

Recent Posts

IPL Auction 2025: भुवनेश्वर के लिए RCB खोला खजाना वहीं Faf du Plessis को दिया धोखा! देखें लिस्ट

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2025 की मेगा नीलामी का आयोजन 24 और 25 नवंबर को…

7 hours ago

Jharkhand Govt Formation: हेमंत सोरेन 28 तारीख को लेंगे शपथ, जानिए कौन होंगे उनकी कैबिनेट में 5 नए चेहरे

झारखंड चुनाव परिणाम आने के 2 दिन बाद इंडिया अलायंस के विधायकों ने हेमंत सोरेन…

7 hours ago

Judge Aditya Singh: 2018 में सिलेक्शन, 9 बार पोस्टिंग, 2023 में प्रमोशन… वे जज जिन्होंने दिया संभल जामा मस्जिद के सर्वे का आदेश

संभल की मस्जिद के सर्वे का आदेश देने वाले न्यायाधीश आदित्य सिंह मुजफ्फरनगर के रहने…

8 hours ago

POK के लोगों को दहशतगर्द मानता है पाकिस्तान, वहां के गृहमंत्री ने कहा- ‘वो हमारे नागरिक नहीं…’

पाकिस्तान से आजाद होने की छटपटाहट POK (पाक अधिकृत कश्मीर) के लोगों में बढ़ती जा…

8 hours ago

BJP प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी बोले- आदिवासियों की संख्या हो रही कम, नई सरकार SIT गठित कर कराए जांच

झारखंड में एनडीए की हारने के कारण पूछने पर BJP प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि…

9 hours ago