श्रम विहार में यमुना के डूब इलाके में बसी झुग्गी बस्ती वालों को दिल्ली हाई कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है. याचिका पर सुनवाई के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को 27 सितंबर 2024 को जगह खाली करने के लिए मिले नोटिस पर रोक की मांग करने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई नही चाहता कि यमुना साफ हो. कोर्ट ने कहा कि जाइए देखिये यमुना में बनने वाले झाग को उसके पास से गुजरते हुए एक मील की दूरी से ही बदबू आने लगती है और यह सब इसलिए है क्योंकि हम उसे प्रदूषित कर रहे हैं.
इससे पहले रेलवे द्वारा दिल्ली में कई जगहों पर वर्षो से बसी झुग्गियों के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने झुग्गियों में जाकर कहा था कि दिल्ली सरकार का यह कानून है कि दिल्ली में जहां कहीं भी झुग्गी बस्तियां है, उन झुग्गी बस्तियों को तोड़ने से पहले उन लोगों को रहने का पक्का मकान दिया जाएगा.
कानून के मुताबिक जो भी एजेंसी झुग्गियों को तोड़ेगी, उस एजेंसी की यह जिम्मेदारी होगी कि पहले उन झुग्गियों में रहने वाले लोगों को वही आसपास के क्षेत्र में पक्के मकान बनाकर दे. उसके बाद ही उन झुग्गियों को तोड़ा जाएगा. दूसरी ओर दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर डीडीए द्वारा किए गए नए सर्वे के मुताबिक दिल्ली में यमुना नदी बाढ़ क्षेत्र का 75 प्रतिशत हिस्सा ऐसा है जिसपर निर्माण करके अब लोगों ने बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण कर लिया है.
डीडीए के मुताबिक यमुना के किनारे 9700 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन में से 75 फीसदी पर कब्जा हो चुका है. हालांकि डीडीए ने कई बार अतिक्रमण हटाने की मुहिम चलाई, लेकिन पिछले दो साल में सिर्फ 400 हेक्टेयर जमीन ही खाली कराई जा सकी है. इस क्षेत्र को नदी का o-zone एरिया भी कहते है, जहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर सख्त प्रतिबंध होता है.
-भारत एक्सप्रेस
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