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मुस्लिमों-ईसाइयों के लिए ऑनलाइन विवाह पंजीकरण में देरी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, सरकार को दिया ये निर्देश

Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के तीन साल बाद भी मुस्लिम एवं ईसाई पर्सनल लॉ के तहत विवाह के अनिवार्य पंजीकरण का ऑनलाइन पंजीकरण करने को सक्षम नहीं बनाने पर दिल्ली सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त की है. कोर्ट ने इसे व्यवस्थित विफलता बताते हुए सरकार एवं उसके आईटी विभाग को सरकारी ऑनलाइन पोर्टल पर विवाह पंजीकरण को सक्षम करने के लिए तुरंत कदम उठाने का निर्देश दिया है.

न्यायमूर्ति ने पाया कि 4 अक्टूबर, 2021 को एक समन्वय पीठ ने दिल्ली सरकार के आासन पर इससे संबंधित याचिका का निपटारा कर दिया था कि मुस्लिम और ईसाई पर्सनल लॉ के तहत विवाह करने वाले पक्षों को होने वाली समस्याओं के निवारण के लिए दो महीने के भीतर उचित प्रशासनिक निर्देश जारी कर दिए जाएंगे. लेकिन इस आदेश के लगभग तीन साल बाद भी इस मुद्दे का बने रहना एक विफलता को रेखांकित करता है. उन्होंने कहा कि विवाह पंजीकरण आदेश, 2014 के तहत विवाहों के पंजीकरण के लिए कोई स्थापित प्रक्रिया नहीं है – न तो ऑनलाइन और न ही ऑफलाइन. खासकर मुस्लिम पर्सनल लॉ या ईसाई पर्सनल लॉ के तहत हुए विवाहों के लिए.

न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि बुनियादी ढांचे की कमी के कारण कानूनी जरूरतों को पूरा करने की मांग करने वाले पक्षों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. जैसे कि वीजा प्राप्त करना या आधिकारिक विवाह मान्यता पर निर्भर अधिकारों का दावा करना. उन्होंने उक्त टिप्पणी पिछले साल एक जोड़े की याचिका पर विचार करते हुए किया, जिन्होंने वर्ष 1995 में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत विवाह किया था. यह जोड़ा कनाडा के लिए पैरेंटल वीजा के लिए आवेदन करना चाहता था. वहां उनके दो बच्चे रह रहे हैं.

इस प्रक्रिया के तहत उन्हें कनाडा के वाणिज्य दूतावास में विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र जमा करना था, इसलिए उन्होंने दिल्ली (विवाह का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश, 2014 के तहत अपने विवाह को पंजीकृत करने की मांग की थी, लेकिन पोर्टल ने उनके विवाह के पंजीकरण के लिए कोई विकल्प नहीं दिया था. यह पोर्टल केवल हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 और विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत पंजीकरण तक सीमित थे.

कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे वर्ष 2014 के अदालती आदेश के तहत विवाह के पंजीकरण के लिए जोड़े के आवेदन पर विचार करे और उन्हें विवाह प्रमाणपत्र जारी करे. साथ ही इस तरह की घटना दुबारा न हो, इसका ध्यान रखा जाए.

— भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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