दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली वन विभाग को निर्देश दिया कि वह राजधानी के रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई या झाड़ियों को हटाने का काम बिना अदालती अनुमति के नही होगा और साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि रिज क्षेत्र में कचरा या कोई अन्य अपशिष्ट पदार्थ न डाला जाए. न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने उक्त टिप्पणी करते हुए विभाग के संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे रिज क्षेत्र से सभी कचरे व अपशिष्ट हटाने के लिए तुरंत कार्रवाई करें. न्यायमूर्ति ने रिज क्षेत्र के तस्वीरों को देखने के बाद कहा कि वहां आगजनी की गई है. इससे वह परेशान है. उसके कारण न केवल पेड़ बल्कि झाड़ियां भी नष्ट हो गई है. केवल खाली भूमि बची है. तस्वीरों में वहां बड़े पैमाने पर कचरा डंपिग भी दिखाई दे रही है. यह बहुत गंभीर स्थिति है.
उन्होंने कहा कि रिज क्षेत्र में पड़ों की कटाई व झाड़ियों को हटाने से उसे बर्बाद करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. जबकि राजधानी पहले से ही बढ़ते प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है,जो खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि रिज क्षेत्र हमारी हरित विरासत है. उसका उपयोग कचड़ा व अन्य अपशिष्ट पदार्थ डालने के लिए किया जा रहा है. यह क्षेत्र न केवल दिल्ली को हरित आवरण प्रदान करता है, बल्कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए भी मूल्यवान है. इस दशा में वन विभाग स्पष्टीकरण देकर बताए कि कैसे उस क्षेत्र में पेड़ों की कटाई व कचरा डालने की अनुमति दी गई. उन्होंने इसके साथ ही सुनवाई 24 मई के लिए स्थगित कर दी. साथ ही उप वन संरक्षक (पश्चिम प्रभाग) को अगली सुनवाई में शामिल होने का निर्देश दिया.
कोर्ट ने उक्त दिशा-निर्देश अंजलि कॉलेज ऑफ फार्मेसी एंड साइंस की अवमानना मामले की सुनवाई करते हुए दिया है. कोर्ट को बताया गया था कि वन विभाग ने अगस्त 2023 में अदालत को आश्वासन दिया था कि वह रिज क्षेत्र की निगरानी के लिए कर्मचारियों की तैनाती करेगा, जिससे वहां कोई डंपिंग न हो और आगे पेड़ों की कटाई न हो. एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उस आश्वासन के बावजूद वहां बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई और वन भूमि की सफाई हो रही है. पेड़ों के अलावा जंगल की झाड़ियों और अन्य वनस्पतियों को भी साफ किया जा रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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