दिल्ली हाईकोर्ट ने चिकित्सा आधार पर पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत दे दिया है. कोर्ट 20 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. तब तक सेंगर की सजा निलंबित रहेगी. वह उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है. न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने चिकित्सा आधार पर कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को अंतरिम रूप से निलंबित कर दिया.
सेंगर ने चिकित्सा आधार पर सजा के अंतरिम निलंबन की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. सेंगर के वकील वकील कन्हैया सिंघल ने तर्क रखा कि सेंगर को पहले पोक्सो मामले में दो सप्ताह के लिए चिकित्सा आधार पर सजा का अंतरिम निलंबन दिया गया था. वह पोकसो मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. उन्होंने कहा हिरासत में मौत के मामले में सजा के निलंबन का कोई आदेश नहीं होने के कारण वह जेल से बाहर नहीं आ सका.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 दिसंबर को कुलदीप सिंह सेंगर को मेडिकल आधार पर दो हफ्ते की अंतरिम जमानत दी थी. वह पोकसो मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. उसे 2018 में उन्नाव रेप केस में दोषी ठहराया गया था. जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और अमित शर्मा की खंडपीठ ने इलाज के लिए कुलदीप सिंह सेंगर को दो हफ्ते की अंतरिम जमानत दी. उसने इलाज के लिए 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित करने की मांग की थी.
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि उसे एम्स नई दिल्ली में भर्ती कराया जाए और उसका मेडिकल मूल्यांकन किया जाए और मेडिकल सुपरिंटेंडेंट उसके दाखिले में मदद करेंगे. हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि मेडिकल बोर्ड द्वारा मूल्यांकन के बाद मेडिकल सुपरिंटेंडेंट कोर्ट को सुझाव देंगे कि उसका इलाज एम्स में संभव है या नहीं. दावा किया जाता है कि वह मधुमेह, मोतियाबिंद, रेटिना संबंधी समस्याओं और अन्य बीमारियों से पीड़ित है.
हाईकोर्ट ने कहा कि सेंगर को कम से कम 2-3 दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा. अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वह किसी ज्ञात स्थान पर रहेगा और जांच अधिकारी के संपर्क में रहेगा. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि वह दिल्ली नहीं छोडेगा. पीठ ने कहा कि मेडिकल मूल्यांकन के बाद अगली तारीख पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाएगी. मेडिकल अधीक्षक सुझाव देंगे कि मांगा गया उपचार एम्स में संभव है या नहीं.
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वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने कहा कि सेंगर को रेटिना की समस्या है और वह चेन्नई के शंकर नेत्रालय में इलाज कराना चाहते हैं. दूसरी ओर दुष्कर्म पीड़िता की ओर से अधिवक्ता महमूद प्राचा पेश हुए और जमानत याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि पहले की मेडिकल रिपोर्टों में यह नहीं बताया गया था कि मांगा गया उपचार एम्स में संभव नहीं है. यह भी कहा गया कि यदि आरोपी को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है तो इससे पीड़िता को खतरा हो सकता है, जिसे सुरक्षा प्रदान की गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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