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शिलांग पुस्तक मेले में जापानी और विदेशी साहित्य की भी बढ़ी डिमांड

शिलांग पुस्तक मेले में जापानी लेखकों की पुस्तकों के प्रति रुचि देखी जा रही है. 13 अक्तूबर तक स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी, शिलांग में चल रहे नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के इस पुस्तक मेले में भारतीय लेखकों के साथ-साथ विदेशी लेखकों की भी हजारों पुस्तकें हैं, जिन्हें युवा पाठक खूब पसंद कर रहे हैं.

पैन मैकमिलन इंडिया के स्टॉल पर सिपोन मिस्त्री के अनुसार, “इस बार युवाओं के ​बीच जापानी लेखकों की पुस्तकों की मांग बहुत बढ़ी है. शिलांग पुस्तक मेले में यह उनके लिए बेहतरीन अवसर है कि भारत में ही उन्हें बड़े-बड़े विदेशी साहित्यकारों की पुस्तकें आसानी से मिल रही हैं. वे जापानी फिक्शन-नॉन फिक्शन को पसंद कर रहे हैं और सनका हिरागी, मीको कावाकामी, तोशिकाजू कावागुची और सोसुके नत्सुकावा जैसे मशहूर जापानी लेखकों की किताबों को अपने साथ ले जा रहे हैं.”

मिस्त्री आगे बताते हैं, “हमने पिछले साल बीटीएस की बियॉन्ड द स्टोरी की कई प्रतियां बेचीं. इस बार जापानी लेखकों को शीर्ष स्थान मिल रहा है. हालाँकि अभी भी यह पुस्तक काफी लोकप्रिय है.”

जापानी उपन्यासों को पढ़ने के साथ-साथ युवा वहां की सभ्यता, लोक संस्कृति और जीवन को भी किताबों के माध्यम से समझना चाहते हैं. नेशनल बुक एजेंसी के सुजीत सिंह बताते हैं कि शिलांग के युवा इकिगाई : जापानी सीक्रेट टू लॉन्ग एंड हैप्पी लाइफ और वाबी साबी: जापानी विजडम फॉर ए परफेक्टली इम्परफेक्ट लाइफ जैसे जापानी साहित्य को पढ़ना चाहते हैं. इस बार इनकी काफी माँग रही. सबसे लोकप्रिय जापानी लेखकों में से एक हारुकी मुराकामी के भी बहुत प्रशंसक हैं.

कैम्ब्रिज बुक डिपो के अभिजीत डे के अनुसार, “फिलहाल मुराकामी की पुस्तकों की केवल कुछ प्रतियां ही बची हैं. उनकी किताबों की हमेशा से मांग रही है.” कॉलेज जाने वाली काटी नारो ने बताया कि उन्होंने इकिगाई और मुराकामी की नॉर्वेजियन वुड खरीदी. उन्होंने बताया, “मैं जापानी लेखकों की पुस्तकें पढ़ती हूं और मुराकामी की पुस्तकें मेरी पसंदीदा पुस्तकों में से एक हैं. मैं अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई लेखकों की पुस्तकें भी पढ़ती हूं.”

गुरुवार को शिलांग पुस्तक मेले में आई प्रसिद्ध लेखिका अंजुम हसन के अनुसार, “जापानी और कोरियाई किताबें शहरों में एक बड़ी पहचान बना चुकी हैं. मैंने भी जापानी उपन्यास पढ़ना शुरू किया है. मैंने अपनी माँ को कुछ कोरियाई उपन्यास दिए और उन्हें वे बहुत पसंद आए.” भारत में जापानी लेखकों की पुस्तकों की बढ़ती मांग पर हसन कहती हैं कि पहले कई जापानी लेखकों को व्यापक रूप से पढ़ा जाता था, लेकिन उन्हें पहले अमेरिकी प्रेस ने खोजा और फिर बाकी अंग्रेजी बोलने वाली दुनिया ने. इसलिए हम बस पश्चिम में आई लहर का अनुसरण ही कर रहे हैं.”

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शिलांग पुस्तक मेले में बच्चों के लिए कई रचनात्मक गतिविधियां प्रतिदिन आयोजित की जा रही हैं. गुरुवार को मेले के छठे दिन कहानी-वाचन सत्र, पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता और राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय पर एक ओरियेंटेशन सेशन का आयोजन हुआ. शाम के समय युवाओं ने जैंतिया नृत्य और अहिया बैंड की धुन का आनंद लिया. 11 अक्तूबर को पाठक ‘हिंदी साहित्य और भाषा बंधन: कविता पाठ’ पर एक सत्र में भाग ले सकते हैं. शाम के समय बेनेडिक्ट हिनीवटा द्वारा बांसुरी वादन और उसके बाद कलर्स बैंड की प्रस्तुति होगी.

-भारत एक्सप्रेस

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