नेपाल से अयोध्या लाई गई दो पवित्र शिलाओं को राम मंदिर परिसर में संरक्षित रखा जाएगा, लेकिन रामलला की मूर्ति बनाने में इनका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. मंदिर का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने कहा कि मूर्ति के लिए नेपाल से लाई गई प्राचीन चट्टानों को बाहर करना एक कठिन निर्णय था. ट्रस्ट के एक सदस्य ने कहा,कई परीक्षणों के बाद, नेपाल की चट्टानें राम लला की मूर्ति के लिए उपयुक्त नहीं पाई गईं, क्योंकि उनमें दरारें आ गईं थीं. हालांकि, ट्रस्ट ने इन चट्टानों को राम मंदिर परिसर में ही रखने का फैसला किया है, ताकि भक्त उनकी पूजा कर सकें. वे ‘देवशिला’ हैं, उन्हें पूरा सम्मान दिया जाएगा.
इस बीच, प्रसिद्ध मूर्तिकार कर्नाटक और राजस्थान से लाई गई चट्टानों से भगवान राम की तीन मूर्तियों को तराश रहे हैं. उनमें से सर्वश्रेष्ठ मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा. सदस्य ने कहा, ट्रस्ट ने रामलला की मूर्ति के लिए कर्नाटक और राजस्थान की चट्टानों का उपयोग करने का फैसला किया है. कर्नाटक के गणेश भट्ट नेल्लिकरू चट्टानों (काले पत्थरों) से मूर्ति बना रहे हैं, जिन्हें भगवान कृष्ण के रंग के समान होने के कारण श्याम शिला या कृष्ण शिला के रूप में भी जाना जाता है.
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उम्मीद है कि राजस्थान के सत्य नारायण पांडे सफेद मकराना संगमरमर के पत्थरों से मूर्ति बनाएंगे. मैसूर के मशहूर मूर्तिकार अरुण योगिराज कर्नाटक से मंगाई गई दूसरी चट्टान से मूर्ति बनाएंगे. मुक्तिनाथ क्षेत्र में नेपाल की गंडकी नदी से दो देवशिलाएं इसी साल दो फरवरी को अयोध्या पहुंची थीं. उनका वजन 14 और 26 टन है। ट्रस्ट ने अगले साल जनवरी में मकर संक्रांति पर एक भव्य समारोह की योजना बनाई है, जब भगवान राम की उनके बचपन को दर्शाने वाली मूर्ति को अयोध्या मंदिर के गर्भगृह में विराजित किया जाएगा.
-भारत एक्सप्रेस
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