पाकिस्तानी फौज के Army chief जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा है कि उनकी सेना ने खुद को सियासत से दूर कर लिया है.वह भविष्य में भी इससे दूर रहना चाहते हैं. पाकिस्तानी न्यूज नेटवर्क जियो के हवाले से ये खबर मिली है कि जनरल बाजवा ने वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी पाकिस्तानी दूतावास में दोपहर के भोजन के दौरान ये बातें कहीं. इतना ही नहीं,जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जनरल बाजवा ने भी इस नवंबर में सेना प्रमुख के रूप में अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद छोड़ने का अपना संकल्प दोहराया.
असल में जब जनरल बाजवा मुल्क की सियासत से दूर रहने की बातें करते हैं तब ना सिर्फ पाकिस्तानी लोग बल्कि दुनिया का कोई भी देश इस पर भरोसा नहीं करता.इतिहास गवाह है कि जुल्फिकार अली भुट्टो से लेकर इमरान खान तक सभी प्रधानमंत्री, फौज के कंधों पर सवार होकर ही आए.मिसाल के तौर पर जुल्फिकार अली भुट्टो को अय्यूब खान ने प्रधानमंत्री बनाया, नवाज शरीफ को आगे लाने वाले जनरल जिया उल हक थे और इसी प्रकार इमरान को लाने वाले जनरल बाजवा थे.दूसरी बात ये है कि जब बाजवा कहते हैं कि फौज सियासत में दखल नहीं दे रही तो फिर वह अमेरिकी विदेश मंत्री से मिलने क्यों गये.वहां तो कायदे से पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाज़ा आसिफ को जाना चहिए था.वजह ये है कि पाकिस्तान में हर प्रधानमंत्री और उसके मंत्री फौज की कठपुतली रहे हैं.पाकिस्तान की फौज ना सिर्फ विदेश मंत्रालय चला रही है बल्कि रक्षा संबंधी मामले भी खुद देखती है.
जनरल बाजवा ने अर्थव्यवस्था की मज़बूती पर ज़ोर दिया.उन्होंने कहा कि ‘मजबूत अर्थव्यवस्था के बिना कोई कूटनीति नहीं हो सकती’. एक मजबूत अर्थव्यवस्था के बिना राष्ट्र अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकता.जनरल बाजवा ने कहा, “देश की बीमार अर्थव्यवस्था को बहाल करना समाज के हर हितधारक की प्राथमिकता होनी चाहिए.” पाकिस्तान के आर्मी चीफ वर्तमान में अमेरिका के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैकब सुलिवन और उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन से मुलाकात की. पाकिस्तानी फौज के जनसंपर्क विभाग(ISPR) के मुताबिक, “बैठकों के दौरान आपसी हित, क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा हुई”
जनरल बाजवा ने अमेरिकी अधिकारियों से यह भी कहा कि, “बाढ़ पीड़ितों के बचाव और पुनर्वास के लिए पाकिस्तान के वैश्विक भागीदारों से सहायता महत्वपूर्ण है. उन्होंने पाकिस्तान में बाढ़ राहत के लिए समर्थन देने के लिए अमेरिकी अधिकारियों को भी धन्यवाद दिया.” दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है और दोनों देश निवेश के रास्ते तलाशने के अलावा अपने आर्थिक और व्यापारिक संबंधों में सुधार करना जारी रखेंगे.
–भारत एक्सप्रेस
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