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Election-2024: देश के वो राज्य जहां भाजपा ने 2019 में जीती थीं सभी लोकसभा सीटें, जानें क्या बने हैं इस बार के समीकरण

Lok Sabha Elections-2024: लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर रणभेरी बज गई है. आज दोपहर 3 बजे चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा कर दी है. तो वहीं राजनीतिक दल भी लगातार अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर रहे हैं. सत्तारूढ़ दल भाजपा ने इस बार 400 पार का नारा दिया है तो वहीं विपक्षी दल लगातार केंद्र की सत्ता से भाजपा को हटाने का दावा कर रहे हैं. हालांकि इस लोकसभा चुनाव के क्या नतीजे होंगे, ये तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इससे पहले साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव पर एक नजर डाल लेते है. बता दें कि पिछली बार बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए करीब 10 राज्यों की सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. जानें इस बार के चुनाव में क्या बने हैं नए समीकरण?

बता दें कि भाजपा इस बार अपने 400 पार के लक्ष्य को साधने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. पीएम मोदी लगातार रैली कर रहे हैं. तो वहीं अगर 2019 के लोकसभा चुनाव को देखें तो पूरे देश में अकले ही अपने दम पर भाजपा ने 303 सीटें हासिल की थी और 10 राज्यों के साथ ही केंद्र शासित प्रदेशों की सभी लोकसभा सीटें भाजपा के खाते में चली गई थी.

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दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर भाजपा नेताओं ने दोबारा जीत हासिल की थी. भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने नई दिल्ली, प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने पश्चिमी दिल्ली, डॉ. हर्ष वर्धन ने चांदनी चौक,रमेश बिधूड़ी ने दक्षिणी दिल्ली और मनोज तिवारी ने उत्तर पूर्वी दिल्ली से फतह हासिल की थी. मनोज तिवारी ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हरा कर जीत हासिल की थी. जबकि सत्तारूढ़ दल आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 2014 के लोकसभा चुनावों में 32.90 प्रतिशत से घटकर सिर्फ 18 प्रतिशत ही रह गया था. जबकि बीजेपी का वोट शेयर 2014 के 46.40 प्रतिशत के मुकाबले बढ़कर 56.58 प्रतिशत हो गया था तो वहीं कांग्रेस का वोट शेयर 2014 के 15.10 प्रतिशत से बढ़कर 22.46 प्रतिशत पर पहुंच गया था. फिलहाल इस बार भाजपा ने 6 सीटों पर नए चेहरे उतारे हैं. यानी 6 प्रत्याशियों को बदल दिया है. केवल मनोज तिवारी को ही रिपीट किया गया है.

गुजरात

लोकसभा चुनाव-2019 में भाजपा ने 2014 के प्रदर्शन को दोहराया था और लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार सभी 26 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. गांधीनगर से संसदीय क्षेत्र में पहली बार उतरने वाले अमित शाह ने 5,57,014 वोटों से अपने पूर्ववर्ती और भाजपा के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भी पीछे छोड़ दिया था. आडवाणी की जीत का अंतर रिकॉर्ड 4,83,121 वोटों का रहा था. अगर पिछले चुनाव को देखें तो यहां पर कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. ऐसे में ये साफ होता है कि भाजपा के मुकाबले कांग्रेस यहां पर काफी कमजोर है. हालांकि इस बार विपक्षी दल इंडिया गठबंधन साथ चुनाव मैदान में ताल ठोक रही है.

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश

बीजेपी ने उत्तराखंड की सभी पांच और हिमाचल प्रदेश की चार सीटों पर जीत हासिल की थी. इस तरह से भाजपा ने दो पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल में भी 2014 के अपने शानदार प्रदर्शन को रिपीट किया था. जहां इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी सभी पांचों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार चुकी है तो वहीं कांग्रेस ने मात्र चार पर ही उम्मीदवार घोषित किए हैं. आंकड़े कहते हैं कि इस बार इन दोनों पहाड़ी राज्यों में कांग्रेस खाता नहीं खोल पाएगी. क्योंकि जहां उत्तराखंड में भाजपा की ही सरकार है तो हिमाचल में कांग्रेस की सरकार होते हुए भी अपने कुछ बागी विधायकों के कारण कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ सकता है.

राजस्थान

राजस्थान में भी भाजपा ने इतिहास रचा था. पिछले 67 सालों में लगातार दूसरी बार 25 संसदीय सीटों में से 24 पर फतह हासिल की थी. राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने जयपुर ग्रामीण सीट पर कॉमनवेल्थ गेम्स के गेल्ड मेडलिस्ट विजेता व कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णा पूनिया को 3,93,171 वोटों से मात दी थी. भाजपा की सहयोगी हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने एक और सीट जीती. तो वहीं इस बार भी अधिकतर पॉलिटिकल सर्वे यही संकेत दे रहे हैं कि इस बार भी भाजपा सभी 25 सीटों पर जीत हासिल करेगी. यहां पर इंडिया गठबंधन भी मैदान में है.

त्रिपुरा, दमन दीव, अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़

भाजपा ने त्रिपुरा में पिछले 2019 में 25 साल के वामपंथी शासन को खत्म किया था ओर दो सीटों पर जीत हासिल की थी. दमन दीव में भी एक ही लोकसभा सीट है जिस पर बीजेपी प्रत्याशी ने फतह हासिल की थी. लालूभाई पटेल को दमन और दीव में लगातार दूसरी जीत मिली. अरुणाचल प्रदेश में दो लोकसभा सीटें हैं और दोनों पर ही बीजेपी जीती. तो वहीं पार्टी की किरण खेर ने कांग्रेस के पवन कुमार बंसल को हराकर चंडीगढ़ में लगातार दूसरी बार फतह हासिल की थी.

हरियाणा

वहीं अगर हरियाणा की बात करें तो यहां के चुनावी इतिहास में भाजपा ने पहली बार सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी और कांग्रेस के साथ ही ओम प्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल को तड़गा झटका लगा था व करारी हार मिली थी. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुडा को सोनीपत और उनके बेटे दीपेंद्र हुडा को रोहतक से हार मिली थी. तो वहीं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह (गुरुग्राम) और कृष्ण पाल गुर्जर (फरीदाबाद) ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में फतह हासिल की थी. अगर कुछ सर्वे की मानें तो यहां पर इंडिया गठबंधन को बहुत अधिक लाभ मिलता नहीं दिख रहा है, क्योंकि इस बार भाजपा को टक्कर देने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस हरियाणा में एक हो गई है.

 

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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