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मधुमिता हत्याकांड में 20 साल बाद रिहा होंगे पूर्व मंत्री Amarmani Tripathi और उनकी पत्नी मधुमणि, BJP में शामिल होने की अटकलें तेज

Amarmani Tripathi: साल 2003 में उत्तर प्रदेश में हुए मधुमिता हत्याकांड की फिर चर्चा होने लगी है, भले ही क्यों न इस कांड के हाई प्रोफाइल मुजरिम जेल की सलाखों में उम्र कैद की सजा काट रहे हों,लेकिन कारागार विभाग ने दंपति की दया याचिका को स्वीकार कर अच्छे आचरण के चलते शेष सजा को माफ कर समय पूर्व रिहाई के आदेश जारी किया है. लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी में 09 मई 2003 को मधुमिता की हत्या हुई थी. अमरमणि की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले 10 फ़रवरी को फिर अवमानना याचिका पर 18 अगस्त को रिहाई का आदेश दिया था.

बात उस मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की जिसने कभी, यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया था,क्योंकि इसका मुख्य मुजरिम निकला था दबंग नेता अमरमणि त्रिपाठी और उसकी बीवी. दोंनों उम्रकैद की सजा होने के बाद से ही सलाखों के पीछे कैद है. बसपा सरकार में लोकतांत्रिक कांग्रेस के कोटे से राज्य मंत्री, फिर सपा और अब भाजपा सरकार के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय ने अमरमणि के प्रति दरियादिली दिखाई है. मंत्री जी के ‘अच्छे आचरण’ के दृष्टिगत बाकी बची सजा माफ कर दी गई है.

पेपर मिल कॉलोनी लखनऊ में युवा कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी थी. लखीमपुर खीरी के छोटे से कस्बे की मधुमिता शुक्ला 1999 की उभरती कवियत्री थी. मधुमिता की मुलाकात उस दौरान बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी से हुई थी और दोनों में नजदीकियां बढ़ गई थी और जांच में सामने आया था कि मधुमिता और अमरमणि के बीच करीबी रिश्तों की जानकारी होने पर अमरमणि की पत्नी ने उसकी हत्या की साजिश रची थी. मधुमिता की डायरी से उसके अमरमणि से प्रेम संबंधों के भेद भी सामने आए थे.

यह भी पढ़ें: Madhumita Shukla Case: पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को मिला रिहाई का आदेश, मृतका की बहन बोलीं- मेरे 20 साल के संघर्ष की कुछ तो लाज रखिए

यहां जिक्र करना जरूरी है कि कवयित्री मधुमिता शुक्ला को 9 मई 2003 मारा गया था. बाद में पुलिसिया पड़ताल के बाद हत्या की जांच सीबीआई ने की थी. सीबीआई ने आरोपितों के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किया था. देहरादून की कोर्ट में 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि,की पत्नी मधुमणि, भतीजे रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. एक अन्य शूटर प्रकाश पांडे बरी हो गया था, जिसे बाद में नैनीताल हाईकोर्ट ने दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया था कि मधुमिता गर्भवती थी. इसके बाद ही पूरे मामले की जांच में नया मोड़ आया था डीएनए जांच में पता चला था कि मधुमिता के पेट में पल रहा बच्चा अमरमणि त्रिपाठी का ही था. तब साबित हुआ था कि, कत्ल की जड़ में लव, अवैध संबंध, ब्लैकमेलिंग का तड़का लगा हुआ था.

अब कहा जा रहा है कि अमरमणि त्रिपाठी भाजपा में शामिल हो सकते हैं. हालांकि , इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अलग ही माहौल बनता दिखने लगा है. लोकसभा चुनाव से पहले कई बड़े संदेश देने की कोशिश की जा रही है. पिछले दिनों में बाहुबलियों के जेल से बाहर आता देखा जा रहा है. पिछले दिनों बिहार सरकार ने कानून में बदलाव कर गोपालगंज के डीएम रहे जी. कृष्णैया हत्याकांड मामले में करीब 16 साल से जेल में बंद आनंद मोहन सिंह की रिहाई का रास्ता साफ कर दिया. एक समय था जब पूर्वी यूपी में अमरमणि का खासा रसूख था. यूपी की राजनीति में वो कभी सपा तो कभी बसपा और कमल के फूल के साथ रहकर सत्ता का सुख भोगते रहे.

-भारत एक्सप्रेस

Anuj Kumar

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