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भारत में Digital Arrest अपराधियों के लिए ठगी का नया जरिया बन गया है, जानें साइबर लॉ एक्सपर्ट ने इसे लेकर और क्या बताया

डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) आज के समय में भारत में अपराधियों का नया ठगी का जरिया बन गया है. एक ऐसा नया अपराध जिसका जिसका कानून में जिक्र नहीं है. पीएम मोदी ने मन की बात के 115 एपिसोड (Man Ki Baat 115 Episode) में इसके बारे में बताया है. उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई भी व्यवस्था फिलहाल कानून में नहीं है.

रुको, सोचो और एक्शन लो

पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट जैसे स्कैम से बचने के लिए रुको, सोचो और एक्शन लो. ऐसे में बचने के लिए इस प्रोसेस को फॉलो करना होगा. ऐसा बहुत जरूर है कि आपको इस स्कैम से बचने के लिए पहले विचार करना चाहिए. क्योंकि इस पूरे प्रोसेस को फॉलो करने से ही आपके लिए बचना आसान हो जाएगा. वहीं इसको लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय कमिटी के गठन बकिया है. यह कमिटी डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच करने वाली संबंधित एजेंसी या पुलिस की जांच की मॉनिटरिंग करेगी. स्पेशल सेक्रेटरी इंटरनल सिक्योरिटी इस कमिटी के प्रमुख होंगे.

6 लाख मोबाइल ब्लॉक किए गए

देशभर में इस साल अब तक डिजिटल अरेस्ट के तहत 6000 से अधिक मुकदमा दर्ज किया गया है, जबकि 6 लाख मोबाइल को ब्लॉक किया गया है, जो ड्रग्स और मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के मामलों में झूठे तरीके से फंसाकर लोगों को निशाना बनाते है. जबकि साइबर धोखाधड़ी से संबंधित 3.25 लाख फर्जी खातों को फ्रिज करने का आदेश दिया गया है.

साइबर एक्सपर्ट ने क्या कहा

डिजिटल अरेस्ट को लेकर देश के जाने माने साइबर लॉ एक्सपर्ट (Cyber Law Expert Pawan Duggal) पवन दुग्गल की माने तो इसको लेकर लोगों में जागरूकता जगाने की जरूरत है. लोगों को इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे बचने का सबसे बड़ा उपाय यही है कि किसी अनजान कॉल को रिसीव ना करें, और न ही कोई अनजान वीडियो कॉल रिसीव करें. अगर आप किसी कॉल या वीडियो कॉल को रिसीव भी कर लिए है तो उसे तुरंत काट दी. उन्होंने कहा कि साइबर लॉ को लेकर एक विशेष अदालत का गठन किए जाने की जरूरत है ताकि मुकदमों का जल्द निपटारा किया जा सके. इसमें गिरफ्तार किए जाने और अपराध साबित होने पर 7 साल तक के सजा का प्रावधान है.

डिजिटल अरेस्ट शब्द हमारे कानून में नहीं

वहीं सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट जैसा शब्द हमारे कानून में अब तक नहीं है. पिछले तीन महीनों में 600 लोगों को डिजिटल अरेस्ट के जरिए शिकार बनाया गया है, और 400 करोड़ रुपये की ठगी की गई है. इसके शिकार पढ़े लिखे लोग होते हैं. उनको मनी लॉन्ड्रिंग या गलत ट्रांजेक्शन का भय दिखा कर ठगी का शिकार बनाया जाता हैं. कई बार तो लोगों को तीन-तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया है.

रुक सकता है मनी ट्रांसफर

क़ानून के जानकार इससे बचने के उपाय बताते हैं कि कभी भी सरकारी एजेंसियां ऑनलाइन तरीके से पूछताछ नहीं करती है, सिर्फ फिजिकल तरीके से पूछताछ करती है. इसमें दो तरह से रिपोर्ट किया जा सकता है. पहला साइबर फ़्रॉड के बारे में हेल्पलाइन नंबर है 130 या जो साइबर फ़्रॉड का ईमेल है उसमें या फिर स्थानीय पुलिस की माध्यम से सूचित करें और अगर फंस गए हो तो एक घंटे के भीतर सूचित कर देंगे तो हो सकता है कि पैसे का जो ट्रांसफर है वो रुक जाए.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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