दिल्ली सरकार और एमसीडी को 2 लाख से अधिक छात्रों को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध न कराने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बार फिर दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी कमिश्नर को निर्देश दिया कि वह एमसीडी स्कूलों में बच्चों की किताबें यूनिफॉर्म और स्टेशनरी के लिए 5 करोड़ की अधिकतम बजट की परवाह किए बिना इन्हें वितरित करें। बाद में इस खर्च का ऑडिट किया जाएगा। हाइकोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी के बावजूद सीएम बने रहने के केजरीवाल के निजी फैसले का मतलब यह नहीं है कि अगर वह उपलब्ध नहीं होंगे तो छोटे बच्चों के मौलिक अधिकारों को कुचल दिया जाएगा।
जेल में रहने से नहीं पड़ता फर्क
कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल का जेल में रहना बच्चों को उनकी मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, लेखन सामग्री और ड्रेस प्राप्त करने के रास्ते में नहीं आ सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय हित और जनहित की मांग है कि सीएम पद पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक या अनिश्चित अवधि के लिए संवादहीन या अनुपस्थित न रहे। हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि दिल्ली जैसी व्यस्त राजधानी में सीएम का पद कोई औपचारिक नहीं है और यह ऐसा पद है जहां पदधारक को 24*7 उपलब्ध रहना होता है। हाई कोर्ट ने एमसीडी आयुक्त को रुपये की व्यय सीमा से बाधित हुए बिना उक्त दायित्वों को पूरा करने के लिए आवश्यक फंड तुरंत जारी करने का आदेश दिया है।
दिल्ली की मौजूदा सरकार की रुचि केवल सत्ता के इस्तेमाल में
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि दिल्ली की मौजूदा सरकार की रुचि केवल सत्ता के इस्तेमाल में है। कोर्ट ने केजरीवाल और उनके मन्त्रियों को फटकार लगाई थी। इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज को जमकर खरी-खरी सुनाई थी। दिल्ली हाइकोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर कहा था कि गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा न देकर अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय हित के ऊपर निजी हितों को प्राथमिकता दी है।
जनहित याचिका में लगाए गए थे ये आरोप
बतादें कि दिल्ली हाइकोर्ट में दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि नगर निगम की आपसी खींचतान के चलते एमसीडी के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को अभी तक किताबें नही मिल पाई है, और वे टिन शेड में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा था कि उन्हें सौरभ भारद्वाज से निर्देश मिले हैं कि एमसीडी की स्थायी समिति की गैरमौजूदगी में किसी उपयुक्त प्राधिकरण को शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति की जरूरत होगी, जो कि अभी हिरासत में है।
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सौरभ भारद्वाज को लेकर हाइकोर्ट ने कही थी ये बात
हाइकोर्ट ने सौरभ भारद्वाज को लेकर कहा कि उन्होंने छात्रों की दुर्दशा पर आंखें मूंद ली है और घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि उन्हें चिंता नहीं है कि छात्र स्कूल जा रहे हैं या नहीं। उनके पास किताबें नहीं है। उनकी दिलचस्पी सिर्फ सत्ता में है, यहां सत्ता का अहंकार अपने चरम पर है। दिल्ली सरकार के वकील पर की गई दलीलों पर कोर्ट ने कहा था कि आपने कहा था कि मुख्यमंत्री के हिरासत में होने के बावजूद सरकार चलती रहेगी।, आप हमें उस रास्ते पर जाने पर मजबूर कर रहे हैं, जहां हम नहीं जाना चाहते हैं। हाइकोर्ट ने कहा था कि हमने अपने सामने आई जनहित याचिकाओं में कई बार यह कहा है, लेकिन यह आपके प्रशासन का फैसला है। अगर आप चाहते हैं कि हम इस पर टिप्पणी करें, तो हम इस पर विचार करेंगे।
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