उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें चुनाव लड़ने वाले ‘‘हमनाम’’ उम्मीदवारों के मुद्दे को हल करने के उद्देश्य से एक प्रभावी तंत्र के लिए तत्काल कदम उठाने के वास्ते चुनाव आयोग (ईसी) को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ द्वारा याचिका पर विचार करने में अनिच्छा जताने के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने इसे वापस लेने की अनुमति मांगी. इसे पीठ ने स्वीकार कर लिया.
पीठ ने याचिकाकर्ता साबू स्टीफन की ओर से पेश अधिवक्ता वी. के. बीजू से पूछा, ‘‘अगर कोई राहुल गांधी के रूप में पैदा हुआ है या कोई लालू प्रसाद यादव के रूप में, तो उन्हें चुनाव लड़ने से कैसे रोका जा सकता है? क्या इससे उनके अधिकारों पर असर नहीं पड़ेगा?’’
इस मुद्दे को ‘‘बेहद गंभीर’’ बताते हुए, बीजू ने चुनाव संचालन नियमावली, 1961 के नियम 22(3) का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया है कि यदि दो या दो से अधिक उम्मीदवारों का नाम एक ही है, तो उन्हें उनके व्यवसाय, निवास या किसी अन्य तरीके से अलग किया जाएगा.
पीठ ने पूछा, ‘‘अगर किसी के माता-पिता ने एक जैसा नाम दिया है, तो क्या यह उनके चुनाव लड़ने के अधिकार में बाधा बन सकता है?’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘आप जानते हैं कि इस मामले का क्या होगा-’’ इसके बाद वकील ने पीठ से कहा कि उन्हें याचिका वापस लेने की इजाजत दी जाये. पीठ ने कहा, ”(याचिका) वापस लेने की अनुमति दी गई”. याचिका में कहा गया था कि ‘हमनाम’ उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की गलत प्रथा मतदाताओं के मन में भ्रम पैदा करने की एक पुरानी चाल है.
-भारत एक्सप्रेस
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