UP News: दारुल उलूम देवबंद ने छात्रों के लिए नया आदेश जारी किया है. इसके तहत छात्रों को दारुल उलूम में तालीम हासिल करने के दौरान इंग्लिश या दीगर शिक्षा से दूर रहना होगा. अन्यथा ऐसे छात्रों को संस्था से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. इस सम्बंध में एक लेटर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस फरमान के बाद प्रदेश में राजनीति गरमा गई है और भाजपा नेताओं ने इसका पुरजोर विरोध किया है.
सोशल मीडिया पर वायरल इस लेटर के मुताबिक, दारुल उलूम के शिक्षा विभाग के प्रभारी मौलाना हुसैन हरिद्वारी ने छात्रों के लिए ये नया फरमान जारी करते हुए कहा है, “दारुल उलूम में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान छात्रों को दीगर किसी तालीम जैसे इंग्लिश वगैरह की इजाजत नहीं होगी. यदि कोई छात्र इसमें लिप्त पाया जाता है या फिर गुप्त तरीके से छात्र की संलिप्तता सामने आती है तो ऐसे छात्र का निष्कासन कर दिया जाएगा.”
यह आदेश उन छात्रों के लिए बड़ा झटका है जो दारुल उलूम में दीनी शिक्षा लेने के साथ ही निजी तौर पर इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स या फिर अन्य आधुनिक शिक्षा से संबंधित विषयों की पढ़ाई में रुचि रख रहे हैं. दारुल उलूम की तरफ से छात्रों के नाम जारी आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि छात्र कक्षा चलने के समय कमरे में पाए जाते हैं, उपस्थिति दर्ज कराकर पीरियड समाप्त होने से पहले ही कक्षा से चले जाते हैं या फिर पीरियड के अंत में केवल अटेंडेंस दर्ज कराने की गरज से ही कक्षा में आते हैं, तो ऐसे छात्र के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.
इस बयान के बाद प्रदेश में आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने कहा कि शिक्षा सभी का अधिकार है. शिक्षा में बाध्यता नहीं होनी चाहिए. आज भारत विश्व में ऊंचाईयों पर है. वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मंत्री कम्प्यूटर हाथ में दे रहे हैं. रोजगार दे रहे हैं. ऐसे में इस तरह का बयान नहीं आना चाहिए. वहीं लोकनिर्माण राज्यमंत्री व देवबन्द विधायक कुँवर बृजेश सिंह ने कहा है कि ये देश संविधान से चलता है शरीयत से नहीं.
उन्होंने ये भी कहा कि हर किसी को अपनी मर्जी से, चाहे हिंदी पढें, या इंग्लिश पढ़े या संस्कृत पढ़े वह अपनी मर्जी का मालिक है. उन्होंने दारुल उलूम के इस लेटर की घोर निन्दा की. वहीं अलीगढ़ के भाजपा सांसद सतीश गौतम ने कड़े शब्दों में इसकी निंदा की है. साथ ही कहा है कि भाषाएं छात्रों के जीवन में व्यवहारिक और व्यापारिक महत्व रखती हैं. ऐसे बयान देने वाले इमाम के विरुद्ध कराई जाएगी.
जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी इस मामले में छात्रों को ताकीद की है. मदनी ने छात्रों से कहा है कि मदरसा हमारा दीन है, हमारी दुनिया नहीं. इसलिए आप पहले अच्छे आलिम-ए-दीन और फिर उसके बाद डॉक्टर, इंजीनियर या वकील बनें, क्योंकि दो किश्ती में सवार होने वाला कभी भी मंजिल नहीं पा सकता है. मदनी ने यह भी कहा कि तालीम हासिल कर अपनी जिंदगी को रोशन करें. उन्होंने छात्रों को नसीहत दी कि वह संस्था में कराई जा रही पढ़ाई पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित रखें. उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद अंग्रेजी, कम्प्यूटर या आधुनिक शिक्षा का विरोध नहीं करता, बल्कि संस्था के अंदर बाक़ायदा इसके विभाग हैं. जहाँ इन में दाखिला लेकर छात्र शिक्षा प्राप्त करते हैं, लेकिन बाहर या अपने तौर पर शिक्षा हासिल करने के कारण दारुल उलूम देवबंद में दाखिला लेने के मकसद से छात्र भटक रहे हैं, जिस के चलते ये फैसल किया गया है. इसलिए छात्रों को अभी उसी शिक्षा पर पूरी तवज्जो देनी चाहिए, जिस के लिए उन्होंने यहाँ एडमिशन लिया है.
-भारत एक्सप्रेस
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