देश

78 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बोले CJI डीवाई चंद्रचूड़, कहा- ‘हमने वर्षों पहले स्वतंत्रता की अनिश्चितता को चुना था…’

Independence Day 2024 CJI Speech: 78 वें स्वतंत्रता दिवस पर सुप्रीम कोर्ट में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने भाषण के दौरान कहा कि हमने वर्षों पहले स्वतंत्रता की अनिश्चितता को चुना था, और आज जो हो रहा है, जैसे कि बांग्लादेश में, वह हमें स्पष्ट रूप से याद दिलाता है कि स्वतंत्रता हमारे लिए कितनी कीमती है. सीजेआई ने कहा कि पिछले 24 वर्षों से एक न्यायाधीश के रूप में, मैं अपने दिल पर हाथ रखकर कह सकता हूं कि अदालतों का काम आम भारतीयों के संघर्षों को दर्शाता है जो अपने दैनिक जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं. सीजेआई ने कहा कि भारत के सुप्रीम कोर्ट में गांवों और महानगरों से वादियों की भीड़ आती है.

न्याय प्रणाली की ताकत, न्याय प्रदान करना

सीजेआई ने कहा-स्वतंत्रता दिवस वह दिन है जो हमें संविधान के सभी मूल्यों को साकार करने में एक-दूसरे और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने की याद दिलाता है. सीजेआई कह चुके है कि न्याय प्रणाली की ताकत न्याय प्रदान करना है, किसी व्यक्ति की मनमाने ढंग से गिरफ्तारी, विघ्वंस की धमकी, संपत्तियों को अवैध रूप से कुर्क किया गया है, तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जजों से सांत्वना मिलनी चाहिए. इससे पहले सीजेआई ने कहा था कि हमें न्याय देने की कोर्ट की क्षमता में विश्वास पैदा करना होगा. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर एक व्यक्ति को इंसाफ मिले. हमें अदालत की बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत है. सभी तीन अंग, न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका राष्ट्रीय निर्माण के लिए सामान्य कार्य में जुड़े हुए है.

सेक्युलर सिविल कोड होना चाहिए…

वहीं, पीएम मोदी ने सेक्युलर सिविल कोड का जिक्र किया. इस दौरान वहां मौजूद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड मुस्करते हुए नजर आए. पीएम मोदी ने कहा कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड होना चाहिए, जिससे देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहे हैं, उससे निजात मिलेगा. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यूसीसी पर चर्चा की है. अनेक बार आदेश दिए हैं. क्योंकि देश का एक बड़ा वर्ग मानता है और एक सच्चाई भी है कि जिस सिविल कोड को लेकर हम जी रहे हैं वह एक कम्युनल सिविल कोड है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की आवश्यकता को दोहराई है. करीब 74 साल पहले दिल्ली के संसद भवन में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर विचार विमर्श किया जा रहा था. यूसीसी को संविधान में शामिल किया जाए या नहीं. इसको लेकर 23 नवंबर 1948 को चर्चा हुई थी. लेकिन, कोई नतीजा नही निकला था.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

Recent Posts

दिल्ली कोर्ट ने अमानतुल्ला खान की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर ED को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

आप विधायक अमानतुल्ला खान को ओखला स्थित उनके आवास पर ईडी की छापेमारी के बाद…

5 hours ago

पूजा खेडकर की मुश्किलें बढ़ीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने झूठे हलफनामे के मामले में जारी किया नोटिस

यूपीएससी ने अपने आवेदन में आरोप लगाया है कि खेडकर ने अग्रिम जमानत याचिका में…

5 hours ago

बिहार में शराबबंदी हटाना चाहिए या नहीं? PK ने कराया सर्वे, रिजल्ट ने किया हैरान

पार्टी के बनने से पहले प्रशांत किशोर लगातार घोषणाएं भी कर रहे हैं. ऐसा ही…

5 hours ago

झारखंड के सभी पूर्व CM मिलकर मुझे पद से हटाने में जुटे हैं: हेमंत सोरेन

हेमंत सोरेन ने कहा कि अगले 5 वर्ष में हर घर को मजबूत करने का…

6 hours ago

IND vs BAN, 1st Test: अश्विन के शतक और जडेजा के साहस से भारत मजबूत

IND vs BAN, 1st Test: भारत और बांग्लादेश के बीच टेस्ट सीरीज का आगाज हो…

7 hours ago

Ernst & Young: 26 वर्षीय CA की मौत की जांच कराएगी केंद्र सरकार, मां का पत्र- कंपनी के ‘वर्कलोड’ से गई मेरी बेटी की जान

अर्नस्ट एंड यंग (EY) में काम करने वाली CA अन्ना सेबास्टियन की हाल ही में…

8 hours ago