झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने लोकपाल के उस आदेश को दिल्ली हाइकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें पार्टी के नाम पर मौजूद दो संपत्तियों की जांच सीबीआई को करने का निर्देश दिया गया था. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई 23 अप्रैल को करेंगे. याचिकाकर्ता झामुमो ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के माध्यम से लोकपाल के 4 मार्च के आदेश को चुनौती दी, जो राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन के खिलाफ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा दायर शिकायत पर पारित किया गया था. उन्होंने कहा पहली नजर में यह गलत आदेश है.
भ्रष्टाचार निरोधक लोकपाल ने सीबीआई को झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन से जुड़ी कथित बेनामी संपत्तियों की छह महीने के भीतर जांच करने का निर्देश दिया है. लोकपाल ने सीबीआई को झामुमो से संबंधित दो संपत्तियों की जांच करने का भी निर्देश दिया है. लोकपाल ने दुबे की 5 अगस्त, 2020 की शिकायत का निपटारा करते हुए यह निर्देश पारित किया, जो लोकसभा में झारखंड के गोड्डा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.
याचिका में कहा गया है कि लोकपाल का आदेश प्रथम दृष्टया कानून की दृष्टि से खराब और अधिकार क्षेत्र के बिना था और इसे झामुमो की पीठ पीछे पारित किया गया था और जो भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल के दायरे से बाहर था। इसमें कहा गया कि आदेश पारित करने से पहले झामुमो को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया और उसे सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया.
लोकपाल को दी गई अपनी शिकायत में दुबे ने कहा था कि सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों व सहयोगियों और रांची, धनबाद और दुमका सहित झारखंड के विभिन्न जिलों में विभिन्न कंपनियों के नामने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया और बेईमान और भ्रष्ट तरीकों को अपनाकर अपने नाम पर आय के ज्ञात और घोषित स्रोतों से अधिक बड़ी संपत्ति अर्जित की.
लोकपाल ने सीबीआई से यह भी कहा है कि वह मासिक रिपोर्ट भेजकर जांच की प्रगति से उसे अवगत कराए। इसके अलावा, लोकपाल ने यह भी कहा है कि दोनों संपत्तियां झामुमो के नाम पर हैं, जो सोरेन द्वारा स्थापित एक राजनीतिक दल है और वे 2014 में उनके माध्यम से खरीदे गए थे.
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