बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम
Ranchi: झारखंड मुक्ति मोर्चा की दूसरी सूची जारी होते ही पार्टी में घमासान मच गया है. यह घमासान राजमहल और सिंहभूम सीट के प्रत्याशियों को लेकर है. पहले से बगावती तेवर में चल रहे रहे बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने राजमहल से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा कि मैं पार्टी में रहते बिना इस्तीफा दिए राजमहल से निर्दलीय चुनाव लडूंगा क्योंकि मुझे गुरुजी के संघर्ष की पार्टी को बचाना है. हां अगर पार्टी चाहे तो मुझे निकाल दे मगर मैं झामुमो नहीं छोड़ूंगा. आज बुधवार को रांची में विधायक आवास में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में लोबिन ने ये बातें कही.
कल्पना के उत्तराधिकारी बनने पर भी उठाए सवाल
लोबिन हेंब्रम ने सोरेन परिवार के खिलाफ जमकर हमला किया. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से दुर्गा सोरेन के निधन के बाद उनके छोटे भाई हेमंत सोरेन को उत्तराधिकारी बनाया गया, उसी प्रकार हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद बंसत सोरेन को उत्तराधिकार मिलना चाहिए था. आखिर कल्पना को किसने उत्तराधिकारी बनाया. लोबीन ने सवाल उठाया कि आखिरकार पार्टी और परिवार में चल क्या रहा है. कौन लोग पार्टी और परिवार चला रहे हैं. यह बड़ा मुद्दा है.
सीता को मंत्री बनाना चाहिए था
लोबिन हेंब्रम ने कहा कि दुर्गा सोरेन के निधन के बाद भले ही उन्हें उनकी सीट से तीन बार टिकट देकर विधायक बनाया गया. मगर क्या बड़ी बहू होने के नाते उन्हें सरकार, परिवार और संगठन में उचित जगह नहीं मिलनी चाहिए थी. अगर उन्हें मंत्री बना दिया जाता तो क्या हो जाता? कहीं न कहीं खुद को उपेक्षित महसूस किया और पार्टी छोड़ दी .
पिंटू और पंकज मिश्रा पर नकेल क्यों नहीं लगा
लोबिन हेंब्रम ने कहा कि जिन लोगों के कारण आज हेमंत सोरेन जेल गए हैं. उनके खिलाफ हमारे विधायक और पार्टी संगठन गोलबंद क्यों नहीं हुए. अभिषेक प्रसाद पिंटू और पंकज मिश्रा नाक के नीचे गलत कर रहे थे, गलत सलाह दे रहे थे तो पार्टी संगठन और विधायकों ने क्यों संज्ञान नहीं लिया. इन लोगों ने परिवार और संगठन को बर्बाद कर दिया. लोबिन हेंब्रम ने कहा कि 2019 के चुनाव में जो वादा और घोषणा पत्र पार्टी ने तैयार किया. हेमंत सोरेन जब प्रचार कर रहे थे, पार्टी के एजेंडे के तहत, तो मैं उनके साथ मंच शेयर करता था. मगर सरकार गठन और हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री रहते हुए चार साल बीत जाने के बाद भी एक भी घोषण पत्र पर अमल नहीं हुआ. ना 1932 आधारित स्थानीय-नियोजन नीति बनी, न पी-पेसा एक्ट लागू हुआ, न समता जजमेंट की अनुशंसा लागू हुआ, न जल, जंगल और जमीन को बचाया गया. जमीन और नौकरी बाहरी लूट रहे हैं. जितने भी वैंकेसी और नौकरी दिए जा रहे हैं उसमें अधिकांश बाहरी हैं. क्या इसलिए ही झारखंड बना. क्या इसलिए ही झामुमो ने अपना घोषणा पत्र तैयार किया था.
विजय हांसदा सांसद नहीं, व्यापारी
लोबिन हेंब्रम ने कहा कि विजय हांसदा को दो बार पार्टी ने सांसद बनाया. मगर पूरे क्षेत्र में उनका जबरदस्त विरोध है. हर कोई उन्हें बदलने की मांग कर रहा है. यहां तक कि सहयोगी जिला कांग्रेस के लोग भी नहीं चाहते हैं कि उन्हें फिर से टिकट मिले. वह सांसद बनने के बाद क्षेत्र में काम कम, अपना व्यापार अधिक किया. व्यापारी बन गया है. मेरे ऊपर राजमहल की जतना का दबाव है इसलिए पार्टी और राजमहल की जनता को न्याय दिलाने के लिए मैदान में उतरूंगा. मैं किसी पार्टी से नहींं, निर्दलीय उतरूंगा. हां अगर झापा चाहे तो बाहर से समर्थन दे सकती है.
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जोबा को बदलने के लिए अल्टीमेटम
इधर सिंहभूम सीट से जोबा मांझी को प्रत्याशी बनाए जाने पर कोल्हान में भी विरोध के स्वर उभर गए हैं. झामुमो नेता दमोदर सिंकू और संध्या सिंह खुटियां के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल रांची में मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन से मिला. उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि जल्द से जल्द जोबा मांझी को बदलकर हो समाज के व्यक्ति को सिंहभूम से प्रत्याशी बनाया जाए नहीं तो हो समाज के लोग गोलबंद होना शुरू हो गए हैं जिसका खमियाजा पार्टी को चुनाव में भुगतना पड़ सकता है. साफ तौर पर सीएम से कहा कि जोबा नहीं चलेगी, कोल्हान से हो समुदाय का ही प्रत्याशी चाहिए ताकि गठबंधन की जीत सुनिश्चित हो सके. सिंकू ने बताया कि वे लोग कल्पना सोरेन से भी मिलेंगे और जोबा को प्रत्याशी बनाए जाने का विरोध करेंगे.
-भारत एक्सप्रेस