देश

Earthquake: इतने भूकंप क्यों आ रहे हैं? दिल्ली-NCR पर तुर्की जैसी तबाही का खतरा, जानिए क्या है वजहें

Earthquake: धरती के भीतर बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जो हम प्रत्यक्ष रूप से नहीं देख पा रहे हैं. लेकिन दुनिया भर के वैज्ञानिकों की नजर पृथ्वी के गर्भ में घट रही एक बड़े परिवर्तन पर टिकी है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अफगानिस्तान के हिंदूकुश पर्वत से लेकर हिमालय के पूर्वी किनारे यानी तिब्बत तक लगातार भूकंप आते रहेंगे. इसकी वजह है धरती के भीतर भारतीय टेक्टॉनिक प्लेटों का खिसकना. रिसर्च में पाया गया है कि इंडियन प्लेट तिब्बतन और यूरोपीय प्लेटों को धक्का दे रही है. ऐसे में यूरोप और तिब्बत की ओर से भी रिएक्शन आ रहा है और भूकंप के तौर पर हम इस हलचल को महसूस कर रहे हैं.

वैज्ञानिकों का मानना है कि अफगानिस्तान के हिंदूकुश से लेकर तिब्बत के पठार और हिमालय से जुड़े क्षेत्रों में लगातार भूकंप आएंगे. मंगलवार की रात आया भूकंप अफगानिस्तान में हिंदूकुश के पास ही था और इसकी गहराई 156 किलोमीटर थी. जैसा कि भूगोल में आपने पढ़ा होगा कि पृथ्वी के भीतर कई सतहें बनी हैं और भू-गर्भ शास्त्री इसे कई भागों में बांटते हैं. इनमें सबसे ऊपरी सतह को क्रस्ट कहा जाता है, जिसकी गहराई 5 से 70 किलोमीटर के बीच की है. अफगानिस्तान में आया भूकंप पृथ्वी के ऊपरी सतह से लगभग ढाई गुना नीचे था. जिसके झटकों से अफगानिस्तान समेत पाकिस्तान और भारत पूरी तरह हिल गए.

15-20 मिमी चीन की ओर खिसक रही है भारतीय प्लेट

रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन प्लेट हर साल 15 से 20 मिलिमीटर तिब्बतन प्लेट की ओर खीसक रही है. लेकिन, तिब्बत की प्लेट काफी मजबूत है. लिहाजा, यह खिसक नहीं पा रही और इस टकराव के चलते छोटे-छोटे भूंकप देखने को मिल रहे हैं.

क्या फिर से बन जाएगा सुपर कॉन्टीनेंट?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, 30 करोड़ साल पहले सभी देश और महाद्वीप एक ही जमीन का टुकड़ा थे. मतलब कॉन्टिनेंट एक ही था. लेकिन, वक्त दर वक्त धरती के भीतर बदलाव होते रहे और द्वीप और प्रायद्वीपों की संरचना होती गई. इसी दौरान जहां समुद्र था वहां पर आज दुनिया का सबसे विशाल पर्वत हिमालय खड़ा हो गया.

आज भी हिमालय की ऊंचाई में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. जमीन के भीतर प्लेटों के टकराने से भयंकर ऊर्जा निकलने की आशंका है. ऐसा अगर बड़े लेवल पर होता है, तो सतह पर बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है. हो सकता है यूरोप और एशिया मिलकर एक सुपर कॉन्टिनेंट बन जाए. हालांकि, ऐसा होने में करोड़ों साल का वक्त लगे और पता नहीं कितनी सभ्यताएं बनेंगी और नष्ट होंगी.

बड़े भूकंप के मुहाने पर है दिल्ली-NCR

भूकंप के लिहाज से दिल्ली-NCR का पांचवें और चौथे जोन में है. ये जोन बेहद ही ख़तरनाक होते हैं. अगर यहां पर धरती तेजी से हिलती है तो बड़ी आफत आएगी और इसे न तो बचाया जा सकता है और न ही टाला जा सकता है. इसका हश्र हाल ही में तुर्कीए में आए भूकंप की तरह हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि भूकंप से जुड़े अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाया जाए. गौरतलब है कि भारत सरकार इसके लिए पूरी कोशिश कर रही है. उत्तराखंड में ऐसा सिस्टम लॉ़न्च किया जा चुका है. यह तनकीन IIT रुड़की ने तैयार किया है. यह एक प्रकार का ऐप है जो भूकंप आने पर पहले ही सिग्नल दे देगा.

Bharat Express

Recent Posts

कंगना ने मोतीलाल नेहरू पर दिया विवादित बयान, कांग्रेस ने EC से की शिकायत

कंगना रनौत ने मंडी के सरकाघाट में एक सभा में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं…

8 hours ago

जनता के लिए खतरा या अन्य स्थितियों के बिना बुलेटप्रूफिंग के लिए वाहन का पंजीकरण निलंबित नहीं किया जा सकता: उच्च न्यायालय

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 52 का उल्लेख करते हुए कहा…

9 hours ago

जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमला: 2 सैन्य-वाहनों पर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई, एयरफोर्स के 5 जवान घायल, एयरलिफ्ट किए गए

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में हुए आतंकियों के हमले में कई वायुसैनिकों को गोलयां लगीं. आतंकियों…

10 hours ago