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Kolkata Doctor Rape-Murder Case: सुप्रीम कोर्ट को CBI ने बताया, कहा- क्राइम सीन को किया गया नष्ट, सबूत से हुई छेड़छाड़

कोलकाता में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि क्राइम सीन (अपराध स्थल) को नष्ट किया गया है और सबूत को मिटाया गया है. कोर्ट 5 सितंबर को अगली सुनवाई करेगा. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि हादसे के पांच दिन बाद उन्हें जांच के लिए केस मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए.

सीजेआई ने कहा कि डॉक्टरों की ओर से यह आशंका व्यक्त की गई है कि उन्हें पकड़े जाने की संभावना है. सीजेआई ने कहा कि कुछ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है.

सीजेआई ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि कोर्ट को दिए गए आदेश का पालन किया जाएगा कि डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर लौट आएंगे, अगर विरोध करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है, तो हम निर्देश देते हैं कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा. सीजेआई ने कहा कि अगर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है, तो अब काम पर वापस लौट आएं. कोर्ट ने कहा कि हमने पहले भी विरोध प्रदर्शन के लिए कोई कठोर कदम नहीं उठाने की बात कही है.

सीजेआई ने कहा कि जहां तक ​​डॉक्टरों के समुदाय का सवाल है, उन्हें काम पर वापस लौटना होगा. एसजी ने कहा कि हमारे पास पश्चिम बंगाल के मौजूदा मंत्री का बयान है. उनका कहना है कि अगर हमारे नेता के खिलाफ कुछ भी बोला गया तो उंगलियां काट दी जाएंगी. एसजी के आरोपों पर सिब्बल ने कहा कि नेता कहते हैं गोली मार देंगे. इसपर सीजेआई ने कहा कि इसका राजनीतिकरण न करें.

सीजेआई ने कहा कि कानून अपना काम कर रहा है, हम डॉक्टरों के कल्याण और सुरक्षा के बारे में भी चिंतित हैं. कोर्ट ने कहा हम ऐसे दिशा निर्देश नहीं देंगे, हम प्रोटोकॉल लागू करेंगे। सीजेआई ने कहा कि मौत की जांच सीबीआई को करने दीजिए और तोड़फोड़ की जांच कोलकाता पुलिस को करने दीजिए. कोर्ट ने कहा कि हमने कभी नही कहा कि सामान्य प्रक्रिया का पालन नही होना चाहिए. केवल इतना कहा था कि विरोध प्रदर्शन के लिए गिरफ्तारी नही होनी चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि सीबीआई और पश्चिम बंगाल सरकार की रिपोर्ट मिल गई है. रिपोर्ट से पता चलता है कि आरोपी का पॉलीग्राफी टेस्ट का कराने का अनुरोध सीजेएम सियालदह को सौपा गया है और यह प्रोसेस में है. सीजेएम सियालदह 23 अगस्त 2024 को शाम 5 बजे से पहले आवेदन पर आदेश पारित करें. सीजेआई ने एक वकील से कहा कि अगर आप उन सभी पब्लिकसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन को दायर करना बंद कर दें, तो सभी मीडिया ट्रायल बंद हो जाएंगे.

सीजेआई ने कहा कि सार्वजनिक अस्पताल में मैं भी जमीन पर सोया हूं, जब एक रिश्तेदार बीमार थे. जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि अगली सुनवाई में जिम्मेदार पुलिस अधिकारी कोर्ट में होना चाहिए. जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि राज्य सरकार ने इस केस में भी बस तरह से काम किया, जो मैंने अपने 30 साल के कैरियर में कभी नहीं देखा. पारदीवाला ने पूछा कि क्या यह सच है कि पहला अन नैचुरल डेथ रिपोर्ट 10:30 बजे रिपोर्ट दर्ज की गई थी. दूसरी बात यह नॉन-मेडिकल कौन है, उसका आचरण भी बहुत संदिग्ध है, उसने ऐसा व्यवहार क्यों किया.

मामले की सुनवाई के दौरान नागपुर एम्स के रेजिडेंट्स डॉक्टर ने अर्जी दाखिल कर कहा गया कि विरोध के कारण अब उनपर हमला हो रहा है. उन्हें परीक्षा भी नही देने दिया जा रहा है. सीजेआई ने कहा कि अगर डॉक्टर डियूटी पर है तो उन्हें अनुपस्थित नहीं माना जाएगा. लेकिन अगर वो डियूटी पर नहीं है तो कानून का पालन किया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा. उसके बाद कोई परेशानी होती है तो कोर्ट आ सकता हैं.

कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर अपने काम पर वापस लौटे. अगर काम पर वापस नही लौटते है तो सार्वजनिक प्रशासनिक ढांचा कैसे चलेगा. ANF में डॉक्टर शामिल होंगे. क्योंकि रेजिडेंट डॉक्टर को आश्वस्त करें कि उनकी बात नेशनल टास्क फोर्स द्वारा सुनी जाएगी. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने कहा कि हम 110 साल पुरानी एसोसिएशन हैं.

सीजेआई ने कहा कि क्या हम कुछ सुझाव दे सकते हैं. यदि आप सभी विभिन्न बॉडी के लिए हस्तक्षेप कर रहे हैं तो नामों और प्रतिनिधित्व करने वाले निकाय की एक पर्ची दे सकते हैं, तो हम इसे क्रम में रखेंगे और हम कहेंगे कि टास्क फोर्स सभी के साथ जुड़ने के लिए कदम उठाए. सीजेआई ने कहा कि अगर हम प्रतिनिधियों से टास्क फोर्स का हिस्सा बनने के लिए कहते हैं तो काम करना असंभव हो जाता है.

कोर्ट ने कहा कि नेशनल टास्क फोर्स में बहुत सीनियर महिला डॉक्टर है, उन्होंने इस क्षेत्र में लंबे समय से काम किया है. NTF यह सुनिश्चित करेगी कि वह सभी प्रतिनिधियों की बात सुने. कोर्ट ने कहा कि हम अपने आदेश में इसे दोहराएंगे. हम कहेंगे कि रेजिडेंट डॉक्टर की बात को सुनी जाए. आपके हित और सुझाव बहुत महत्वपूर्ण है. वहीं वकील ने टास्क फोर्स में रेजिडेंट डॉक्टर को शामिल करने की मांग की.

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि टास्क फोर्स सभी हितधारकों की बात सुनेगा, जिसमें इंटर्न, रेजिडेंट, सीनियर रेजिडेंट, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल है. सीजेआई ने कहा कि समिति यह सुनिश्चित करेगी कि सभी प्रतिनिधियों को सुना जाए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी डॉक्टर्स के दबाव के बाद कि गई. पीड़िता के क्रिमेशन के बाद एफआईआर दर्ज की गई. सिब्बल ने कहा कि रिकॉर्ड स्पष्ट करेंगे कि क्या हुआ था. बेवजह हम पर आरोप लगाने से कोई फायदा नहीं है.

सीजेआई ने पूछा आरोपी की मेडिकल जांच रिपोर्ट, कहां है. एसजी ने कहा कि हमें यह नहीं दी गई है. सिब्बल ने कहा कि यह केस डायरी का हिस्सा है और प्रस्तुत किया गया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा हमने 5वें दिन घटनास्थल पर प्रवेश किया और सीबीआई जांच शुरू करना एक चुनौती है और अपराध स्थल बदल दिया गया है. सिब्बल ने कहा सि जब्ति मेमो है. बेजा आरोप नहीं लगाएं. एसजी ने कहा कि दाह संस्कार के बाद रात 11:45 बजे पहली एफआईआर दर्ज की गई, फिर उन्होंने माता-पिता को बताया कि यह आत्महत्या है, फिर मौत और फिर अस्पताल में डॉक्टर के दोस्तों ने वीडियोग्राफी पर जोर दिया और इस तरह उन्हें भी संदेह हुआ कि कुछ गड़बड़ है.

एक वकील ने बताया कि इतने लंबे समय तक काम करने वाले जूनियर डॉक्टर न तो शारीरिक रूप से और ना ही मानसिक रूप से इस स्थितिमें होते हैं कि अगर कोई उन्हें छेड़ता है तो वे उसका विरोध भी कर सके, यौन उत्पीड़न तो दूर की बात है. सीजेआई ने कहा कि हमने इसी पहलू को उजागर किया है, कि सार्वजनिक अस्पतालों में एक चलन बन गया है और जूनियर सिर्फ यौन उत्पीड़न ही नहीं बल्कि कई तरह के उत्पीड़न के शिकार होते हैं.

सीजेआई ने कहा कि हमें बहुत सारे मेल मिले हैं. 48घंटे या 36 घंटे की डियूटी सही नहीं है. वही आर जी कर मेडिकल जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरो की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने कहा कि उन्होंने सीलबंद लिफाफे में नाम दिए है. उन्हें अभी भी अस्पताल में निशाना बनाया जा रहा है. जिसपर गीता लूथरा से सीजेआई ने पूछा कि किसके द्वारा आतंकित किया जा रहा है? गीता लूथरा ने कहा कि जिन डॉक्टरों ने आवाज उठाई है, उन्हें लगता है कि उनको टारगेट किया जा रहा है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यहां किसी का प्रतिनिधित्व करने वाले एक युवा वकील ने ऐसा लगता है कि शिकायत दर्ज की गई है. मैं पहचान उजागर नहीं करूंगा. एसजी ने कहा कि जिस व्यक्ति ने शिकायत की है वह 2023 में भी वापस आ चुका था और इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि यह बाद में कई गई शिकायत है. जस्टिस पारदीवाला ने कहा जो सहायक पुलिस अधीक्षक हैं. उसका आचरण भी बेहद संदिग्ध है. उसने ऐसा व्यवहार क्यों किया?

सिब्बल ने कहा कि वह एक महिला है. सीजेआई ने कहा कि अब अपने दस्तावेज में देखें. जीडी एंट्री सुबह 5:20 बजे है, सुबह 10:10 बजे अस्पताल से सूचना मिली कि महिला अर्धनग्न हालत में पड़ी थी, मेडिकल बोर्ड की राय है कि जबरदस्ती की संभावना है और जीडी प्रविष्टि से पता चलता है कि पोस्टमार्टम के बाद घटना क्षेत्र की घेराबंदी की गई है. कोर्ट ने डॉक्टरों के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है, उनके काम पर न लौटने की वजह से तमाम मरीज परेशान है. रेजिडेंट डॉक्टर यंग डॉक्टर्स है, उनको समझना चाहिए.

सीजेआई ने कहा कि एक बार डॉक्टर काम पर लौट आए तो प्रतिकूल कार्रवाई नहीं कि जाएगी. हमारा जनरल आदेश तभी लागू होगा. सीजेआई ने कहा कि पुलिस डायरी में एंट्री सुबह 5:20 बजे की है, अस्पताल से पुलिस को सूचना मिली कि महिला सुबह 10:10 बजे अर्धनग्न अवस्था में लेटी हुई थी, मेडिकल बोर्ड ने राय दी कि रेप हुआ और पुलिस डायरी में एंट्री से पता चलता है कि उस घटना की एरिया की घेराबंदी पोस्टमार्टम के बाद कि गई है. सीजेआई ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा कि 14 घंटे बाद एफआईआर क्यों दर्ज किया गया. प्रिंसिपल किसको बचाना चाह रहे है?

ये भी पढ़ें- शंभू बॉर्डर खोलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, किसान नेताओं से प्रशासन की रोजाना मीटिंग करने की मांग

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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