दिल्ली की एक अदालत ने सुनवाई के दौरान एक वकील का बचाव पक्ष के अधिवक्ता को अनावश्यक रूप से भड़काने तथा उस पर हमला करने की कोशिश करने की घटना के बाद बार निकायों को उपयुक्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रेणु ने यह निर्देश महिलाओं को घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम के तहत एक मामले की सुनवाई करते हुए दीं.
पारिवारिक अदालत का मामला
यह मामला पारिवारिक अदालत का है. मजिस्ट्रेट ने 22 अप्रैल को एक आदेश में कहा कि जब प्रतिवादी के वकील दलीलों के जवाब में अपनी बातें रख रहे थे तब याचिकाकर्ता के वकील अदालत की चेतावनी के बावजूद हस्तक्षेप कर प्रतिवादी के वकील को अनावश्यक रूप से भड़का रहे थे. याचिकाकर्ता के वकील ने प्रतिवादी के वकील पर प्रहार करने की कोशिश की तथा सह दो वकीलों को धक्का भी दिया. मजिस्ट्रेट ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि इस आदेश की प्रति रोहिणी अदालत बार एसोसिएशन तथा बार काउंसिल आफ दिल्ली के पास भी उपयुक्त कार्रवाई के लिए भेजी जाए. अगली सुनवाई के दिन 22 अगस्त को कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल की जाए.
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बार ‘काउंसिल ऑफ दिल्ली’ करेगी जांच
ऐसे मामलों में वकीलों के निकायों की प्रक्रिया बताते हुए बार ‘काउंसिल ऑफ दिल्ली’ के उपाध्यक्ष संजीव नसियार ने कहा कि काउंसिल दोनों पक्षों को बुलाएगी तथा जांच करेगी. उन्होंने कहा कि हम ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई कर सकते हैं. यदि किसी वकील के खिलाफ पेशेवर कदाचार का मामला साबित हो जाता है तो हम लाइसेंस या पंजीकरण निलंबित करने जैसा कड़ा कदम उठा सकते हैं. बार काउंसिल ऑफ दिल्ली मामले के तथ्यों के आधार पर कड़ी चेतावनी भी दे सकती है.
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