Manipur Viral Video: मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. पिछले तीन महीनों से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर जारी हिंसा ने 120 से अधिक लोगों की जान ले चुकी है. पिछले दिनों राज्य से एक वीडियो सामने आया था जिसमें भीड़ के बीच कुछ लोग दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनके साथ अभद्रता कर रहे थे. इस वीडियो ने पूरे देश को गुस्से से भर दिया था. मामला देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और अब इस मामले में आज यानी सोमवार को सुनवाई होने वाली है. बता दें कि मामले की सुनवाई इससे पहले 28 जुलाई शुक्रवार को ही होनी थी लेकिन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की तबीयत खराब होने के कारण वे सुप्रीम कोर्ट नहीं आ पाए थे, जिस वजह से सुनवाई को आज के लिए टाल दी गई थी.
मिली जानकारी के अनुसार, मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए अभद्रता और वायरल वीडियो को लेकर केंद्र ने 27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था. इसमें कहा गया था कि राज्य सरकार की अनुमति लेकर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जा रही है. हलफनामे में आगे कहा गया था कि मामले की तेजी से जांच जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट मामले को मणिपुर से बाहर ट्रांसफर करने का आदेश दे.
वहीं, इस मामले के ट्रायल को फास्ट ट्रैक में भी चलाने की मांग की गई है जिससे चार्जशीट दायर होने के 6 महीने के भीतर कार्रवाई हो सके. केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि सुनवाई करने वाली निचली अदालत को यह निर्देश दिया जाए कि चार्जशीट दाखिल होने के 6 महीने के अंदर मामले में फैसला दिया जाए.
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बता दें कि मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर विपक्ष हमलावर है, इसके साथ ही वह राज्य में शांति व्यवस्था को जल्द से जल्द कायम करने की मांग कर रहा है. इस मामले को लेकर विपक्ष ने देश की संसद में भी सरकार को घेरा था. वहीं, हाल ही में मणिपुर हिंसा के जमीनी हकीकत को जानने और वहां के लोगों से मिलने के लिए विपक्ष का 20 सदस्यीय एक डेलिगेशन दो दिवसीय दौरे पर मणिपुर भी गया था.
इस बीच केंद्र सरकार का कहना है कि मणिपुर में शांति लाने के लिए की जा रही बातचीत अब अपने अंतिम दौर में है. सरकार का कहना है कि दोनों समुदायों से इस मसले पर वार्ता जारी है. विपक्ष के कुछ नेताओं ने यह भी मांग की है कि मणिपुर में सीएम एन. बीरेन सिंह की सरकार को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए.
-भारत एक्सप्रेस
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