Mathura News: महाशिवरात्री के जाते ही मथुरा में होली को लेकर तैयारियां तेज कर दी गई हैं. हालांकि यहां बसंत पंचमी से ही होली का शुभारम्भ हो जाता है. इससे सम्बंधित ब्रज की होली का कार्यक्रम भी जारी कर दिया गया है. साथ ही मंदिरों में भी सुबह-सुबह कान्हा के साथ अबीर-गुलाल खेलने की परम्परा शुरू कर दी गई है. वैसे तो प्रमुख होली 27 फरवरी से नन्द गांव से शुरू होगी, लेकिन इसकी रौनक अभी से ब्रज में दिखने लगी है.
बता दें कि मथुरा के संपूर्ण ब्रज मंडल में होली का विशेष महत्व है. जहां पूरे देश भर में होली सिर्फ 2 दिन मनाकर ही समाप्त हो जाती है तो वहीं ब्रजमंडल में होली का उत्सव 40 दिन तक चलता है. इसकी शुरुआत बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर वृंदावन से शुरू हो जाती है. यहां बसंत पंचमी के दिन होली का डंडा गाड़ा जाता है यानी होली की शुरुआत की जाती है उसके बाद लगातार मथुरा वृंदावन के सभी छोटे बड़े मंदिरों में सुबह के समय होली होती है. लेकिन प्रमुख होली 27 फरवरी को नंद गांव से शुरू होती है.
यहां पर हरिहरन, हुरियारों को न्योता देने जाती हैं कि आप हमारे बरसाने में आकर होली खेलें. उसके बाद बरसाने में ही लड्डू होली का आयोजन किया जाता है, जो इस बार 27 फरवरी को आयोजित होगा. यहां पर राधा रानी को लड्डुओं का भोग लगाने के बाद उसे श्रद्धालुओं पर लुटाए जाते हैं. इसी के बाद मुख्य कार्यक्रम शुरू होगा जो कि 15 मार्च अर्थात होली के बाद तक चलेगा. 28 फरवरी को बरसाने में लठ्ठमार होली खेली जाएगी. बता दें कि लठ्ठमार होली देखने के लिए न केवल देश बल्कि विदेशों से भी लोग पहुंचते हैं. यहां हुरियारिन हुरियारों पर लठ्ठ बरसाती हैं और हरियारे उसे ढाल से रोकते हैं.
बता दें कि लठ्ठमार होली के लिए तैयारी हुरियारिन 1 महीने पहले से ही शुरू कर देती हैं. लट्ठ पर तेल लगा कर इसे तैयार किया जाता है. उसके बाद नंद गांव में भी लठमार होली होती है, फिर मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि पर लड्डू होली लट्ठमार होली का भी आयोजन किया जाता है.
वृंदावन में बांके बिहारी में भी होली का आयोजन 3 मार्च को होगा और 4 मार्च को गोकुल में घड़ी मार होली का आयोजन होगा. यहां पर छड़ी मार होली का आयोजन इसलिए किया जाता है क्योंकि गोकुल में भगवान श्री कृष्ण बाल स्वरूप में थे. इसीलिए यहां छड़ी का प्रयोग मारने के लिए किया जाता है.
7 मार्च को फालेन गांव में भक्त पहलाद के अनुयाई ( यानी पंडा ) द्वारा बड़े आग के गोले को पार किया जाता है. यह आयोजन भी भव्य होता है. इसके बाद दाऊजी का हुरंगा 9 मार्च को होगा. यहां पर महिलाएं हुरियारों के कपड़ों को फाड़ कर उसे पानी में भिगोकर पिटाई करती हैं. यह भी आयोजन भव्य होता है. इसके बाद 15 मार्च तक ब्रज में अनेकों मंदिरों में होली के भव्य आयोजन किए जाते हैं, जो कि दर्शनीय होते हैं.
वैसे तो पूरे साल भर ही मथुरा-बृज के सभी मंदिरों में पुलिस-प्रशासन की निगरानी रहती है, लेकिन होली के मौके पर जिला प्रशासन की तरफ से भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया जाता है. ताकि किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना ना हो सके, क्योंकि होली के दौरान ब्रजमंडल में न केवल देश बल्कि विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. फिलहाल जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं और बैठकें होने लगी हैं. इसी के साथ जिला प्रशासन द्वारा हर चौराहे- तिराहे व क्षेत्र को भी सजाया जाता है.
-भारत एक्सप्रेस
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