Shrikrishna Janmashtami-2023: जबसे चांद पर जाकर चंद्रयान ने इतिहास रचा है, तब से चंद्रयान थीम को लेकर धूम मची हुई है. उत्तर प्रदेश में पहले चंद्रयान पर राखी ने जमकर धूम मचाई तो अब जन्माष्टमी पर चंद्रयान थीम पर उत्सव मनाया जाएगा. प्रज्ञान-प्रभास पोशाक धारण कर लड्डू गोपाल भक्तों को मंत्रमुग्ध करेंगे तो वहीं श्रीकृष्ण जन्मस्थान को चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) की थीम पर रोशनी से सजाया जाएगा. इस बार प्रभु श्रीकृष्ण का तीर्थनगरी मथुरा में 5250वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा. सात सितंबर की रात्रि 12 बजे भगवान के प्राकट्य के साथ संपूर्ण मंदिर परिसर में ढोल-नगाड़े, झांझ-मंजीरे, मृदंग बज उठेंगे. मिली जानकारी के मुताबिक, महंत नृत्य गोपाल दास महाराज के सानिध्य में जन्मोत्सव कार्यक्रम सम्पन्न होगा.
बता दें कि इस मौके पर हरिद्वार के गंगाजल और गोमाता के दूध से लड्डू गोपाल का अभिषेक किया जाएगा तो वहीं कान्हा के स्वागत के लिए यहां पर सजाए जाने वाले फूल बंगले का नाम इस बार इसरो (ISRO) चीफ एस सोमनाथ के नाम पर रखा गया है. भागवत भवन के द्वार पर चंद्रमा और प्रज्ञान का कटआउट लगाया जाएगा जो कि भक्तों को निहाल करेगा तो वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ के इस कार्यक्रम में पहुंचने की संभावना जताई जा रही है. कार्यक्रम को लेकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा और सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और जानकारी दी कि इस बार कान्हा की पोशाक का नाम प्रज्ञान-प्रभास रखा गया है. उन्होंने आगे जानकारी दी कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान का यह प्रयास भारत की सनातन परंपराओं के संवर्धन एवं नवीन अनुसंधान में लगे उन सभी वैज्ञानिकों का अभिनंदन कर सफलता की शुभकामना देना है.
सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि, कान्हा के लिए पांच पोशाक बनाई गई हैं, जिनमें राधा-कृष्ण की बड़ी पोशाक हेमंत मुकुट को 30-35 कारीगरों द्वारा तैयार किया जा रहा है. उन्होंने ये भी जानकारी दी कि, कुछ काम बंगाल और कुछ दिल्ली में भी हुआ है. केशवदेव, गर्भगृह और युगमाया की पोशाक तैयार की जा रही है. जन्म के बाद श्रीकृष्ण का अभिषेक जो किया जाएगा, उसके लिए गंगाजल को हरिद्वार मंगवाया गया है. जन्मभूमि के अंदर एवं परिसर को इस तरह से सजाया जाएगा कि बाहर से श्रद्धालु, जिस दिशा से भी श्रीकृष्ण के दर्शन करेंगे, उनको जन्मभूमि की अद्भुत छटा की अनुभूति होगी.
कपिल शर्मा ने आगे बताया कि हर बार की तरह इस बार भी भगवान श्रीकृष्ण की प्राकट्य भूमि एवं कारागार के रूप में प्रसिद्ध गर्भ गृह एवं संपूर्ण श्रीकृष्ण चबूतरा की साज-सज्जा बिल्कुल अलग ढंग से की जाएगी. श्री गर्भगृह के भीतरी भाग को तो कारागार का स्वरूप दिया जाएगा लेकिन गर्भगृह के बाहरी भाग जो कि श्रीकृष्ण चबूतरा है को प्राचीन वास्तु के मुताबिक यानी उसके मूलरूप में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा और उसे कारागार का ही रूप दिया जाएगी. इसी के साथ भक्तों को भगवान की लीलाओं के भी दर्शन होंगे. 1008 कमल-पुष्पों से ठाकुरजी का सहस्त्रार्चन होगा.
श्रीभागवत भवन मंदिर में 7 सितंबर की रात में श्रीकृष्ण जन्म महाभिषेक कार्यक्रम होगा और फिर रात 11 बजे से ही श्री गणपति एवं नवग्रह स्थापना- पूजन शुरू हो जाएगा. जो कि सहस्त्रार्चन (कमल पुष्प एवं तुलसीदल से) रात 11:55 बजे तक चलेगा. प्राकट्य दर्शन के लिए पट रात में 11:59 बजे बंद कर दिए जाएंगे और फिर प्राकट्य दर्शन/आरती रात्रि 12:00 बजे से 12:05 बजे तक होगी. पयोधर महाभिषेक कामधेनु से रात 12:05 बजे से 12:20 बजे तक होगी. रात्रि 12:20 बजे से 12:40 बजे तक, रजत कमल पुष्प में विराजमान ठाकुरजी का जन्म महाभिषेक होगा. रात्रि 12:40 बजे से 12:50 बजे तक शृंगार आरती होगी और फिर रात 1:25 बजे से 1:30 बजे तक शयन आरती होगी.
-भारत एक्सप्रेस
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