UP News: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से चौंका देने वाली खबर सामने आ रही है. यहां के बहेड़ी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में एलियन जैसे बच्चे ने जन्म लिया, जिसे देखकर परिजन डर गए और तो और उसकी आवाज बिल्कुल अजीब तरह की थी और त्वचा भी फटी व सफेद रंग की. जहां इस बच्चे को लेकर गांव में चर्चा तेज है और लोग अलग-अलग बातें बना रहे हैं तो वहीं चिकित्सकों का कहना है कि बुधवार को जिस बच्चे ने जन्म लिया है वह दुर्लभ अनुवांशिक विकार (हार्लेक्विन इक्थियोसिस) से पीड़ित बच्चा है. हालांकि इससे पहले 15 जून को भी बरेली के एक अस्पताल में इसी तरह का मृत बच्चा जन्मा था.
एलियन जैसा दिखने वाला बच्चा नार्मल डिलीवरी से जन्मा है और तीन दिन से जिंदा है. फिलहाल डॉक्टरों ने बीमारी की वजह पता करने के लिए स्किन बायोप्सी और केरिया टाइमिन जांच के लिए सैंपल लिया है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक, बहेड़ी थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली महिला को प्रसव पीड़ा होने के बाद परिजन उसे सीएचसी लेकर पहुंचे और अस्पताल में भर्ती करा दिया. बुधवार की देर रात महिला ने नॉर्मल डिलीवरी से एक बच्चे को जन्म दिया. घर में खुशियां थीं लेकिन जब बच्चे को देखा गया तो सभी डर गए. क्योंकि उसका शरीर पूरी तरह सफेद था और बच्चे की त्वचा जगह-जगह से फटी हुई थी. आंखें और होंठ भी बड़े-बड़े हैं. इस दुर्लभ बच्चे की फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है तो वहीं डाक्टर के मुताबिक, ऐसे जन्मे बच्चों को हार्लेक्विन इक्थियोसिस बेबी कहा जाता है.
वहीं खबर सामने आ रही है कि जन्म के बाद बच्चे ने जैसे ही आवाज निकाली लोग डर गए, क्योंकि उसकी आवाज अजीब थी. हालांकि परिजनों को डॉक्टर ने दुर्लभ बीमारी के बारे में बताया है और समझाया है. इसके बाद परिजन बच्चे व उसकी मां को लेकर घर चले गए हैं तो वहीं यह पूरी बात गांव में फैल गई है और चर्चा का विषय बनी हुई है.
इस सम्बंध में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अतुल अग्रवाल बताया कि, जो बीमारी इस बच्चे को है, इसमें शरीर में तेल बनाने वाली ग्रंथियां खत्म हो जाती हैं और इसी वजह से त्वचा फटने लगती है. आंखों की पलकें पलट जाती हैं, जिसकी वजह से चेहरा भयानक और अजीब लगने लगता है. पूरी दुनिया में ऐसे अब तक करीब ढाई सौ मामले ही सामने आए हैं. डाक्टर का कहना है कि अक्सर ऐसे बच्चों की जन्म के दौरान या फिर कुछ घंटों बाद ही मौत हो जाती है और जो बच जाते हैं, वे ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाते हैं. इसका कोई कारगर इलाज भी नहीं है. डाक्टर ने बताया कि, बच्चे में यह विकार माता-पिता के ऑटोसोमल रिसेसिव पैटर्न से मिलता है, जो जीन के उत्परिवर्तन से होता है. डाक्टरों ने बताया कि, शरीर में प्रोटीन और म्यूकस मेंब्रेन की गैर-मौजूदगी की वजह से बच्चे की ऐसी दशा हो जाती है. डाक्टर ने ये भी बताया कि,इस तरह के बच्चे प्रीमेच्योर होते हैं. कुछ मामलों में प्रसवकाल पूरा होने के दौरान ऐसे बच्चों का जन्म होता है तो पांच से सात दिन तक भी जीवित रह सकते हैं. फिलहाल इस बच्चे को लेकर हम जांच कर रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद पूरे देश की निगाहें इन दो राज्यों पर…
RSS सदस्य शांतनु सिन्हा द्वारा अमित मालवीय के खिलाफ ‘बंगाली’ में एक फेसबुक पोस्ट किया…
गुयाना से भारत लौटने के बाद पीएम मोदी सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक पोस्ट…
महिलाओं के खिलाफ घिनौने कृत्य अनंत काल से होते आ रहे हैं और ये आज…
पीठ चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार कर रहा है,…
देश के विभिन्न राज्यों में तैयार किए गए गिफ्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं…