Ayodhya Ram Temple: जहां एक ओर राम नगरी अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है और 22 जनवरी 2024 को इसके उद्घाटन को लेकर तैयारी जारी है व इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहुंचने को लेकर भी तमाम सुरक्षा व्यवस्था को लेकर तैयारी की जा रही है तो दूसरी ओर इस मामले में अब विरोध के सुर भी मुखर होने लगे हैं. इसको लेकर मुसलमानों की सबसे बड़ी धार्मिक संस्था जमीयत उलेमा-ए-हिंद के चीफ मौलाना महमूद असद मदनी ने प्रधानमंत्री का विरोध किया है और बयान जारी करते हुए कहा है कि मुल्क के वजीरे आजम को न किसी मंदिर… किसी इबादतगाह के बुनियाद के लिए नहीं जाना चाहिए. फिलहाल मदनी के इस बयान के बाद सियासत गरम हो गई है.
मदनी ने इस सम्बंध में अपना बयान जारी करते हुए कहा है कि ” हम दो बातें कहना चाहते हैं. पहला कि हम अयोध्या पर जो कोर्ट का फैसला आया है उसे सही नहीं मानते हैं. हमारा मानना है कि वो फैसला गलत माहौल में, गलत तरीके से, गलत बुनियादों पर किया गया है.” इसी के साथ प्रधानमंत्री के उद्घाटन करने को लेकर कहा कि ”दूसरी बात ये है कि मुल्क के वजीरे आजम को न किसी मंदिर… किसी इबादतगाह के बुनियाद के लिए बिल्कुल नहीं जाना चाहिए. इससे अपने आप को दूर रखना चाहिए.” मदनी ने आगे कहा कि “मजहब का मामला आवाम का मामला है. मैं जमीयत के लोगों से कहना चाहता हूं कि वो अगर इस तरह के कार्यक्रम में किसी भी तरह हिस्सा लेंगे, जुबानी ही क्यों नहीं हो… उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.”
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मुस्लिम समुदाय को मस्जिद निर्माण के लिए भी पांच एकड़ जमीन देने का फैसला दिया था, लेकिन अभी तक मस्जिद निर्माण का काम शुरू नहीं हो सका है तो वहीं मदनी के विरोध के साथ ही अयोध्या में कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने मांग की है कि मंदिर के उद्घाटन के लिए आ रहे पीएम मोदी धन्नीपुर में मस्जिद की बुनियाद भी रख दें. ताकि इसका भी काम शुरू हो सके तो इसी के साथ मस्जिद निर्माण कार्य में हो रही देरी को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
वहीं राम मंदिर के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कार्यक्रम में बुलाए जाने को लेकर कई विपक्षी नेताओं ने भी सवाल उठाए हैं और इसको लेकर विरोध दर्ज कराया है. सूत्रों की मानें तो कुछ विपक्षी नेताओं ने यहां तक कहा कि पीएम मोदी को बुलाने की जरूरत क्या है. बता दें कि इस मामले में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के साथ ही मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के अलावा शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत भी प्रधानमंत्री द्वारा राम मंदिर का उद्घाटन किए जाने को लेकर विरोध कर चुके हैं.
मालूम हो कि राम नगरी अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम तो होगा ही. साथ ही मंदिर का उद्घाटन भी होगा. इसके लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने पीएम नरेंद्र मोदी को राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया है. तो दूसरी ओर आमंत्रण मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया के जरिए कहा था कि वह खुद को धन्य महसूस कर रहे हैं और यह उनका सौभाग्य है कि वह अपने जीवनकाल में इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनेंगे.
-भारत एक्सप्रेस
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