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आ गया चंदा मामा का छोटा भाई, धरती का चक्कर लगाने जा रहा Mini Moon, जानें वैज्ञानिकों ने क्या रखा नाम

ब्रह्मांड रहस्यों से भरा हुआ है. जिसमें अरबों-खरबों आकाशगंगाएं हैं और उन आकाशगंगाओं में अरबों तारे हैं, उन तारों के चारो ओर पृथ्वी जैसे खरबों ग्रह चक्कर लगा रहे हैं. इन घटनाओं और रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए वैज्ञानिक लगातार शोध और अध्ययन कर रहे हैं. इसी बीच वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के एक अस्थायी “मिनी-मून” को खोजा है, जो एक दुर्लभ खगोलीय घटना का हिस्सा है. इस मिनी-मून का नाम 2024 PT5 रखा गया है और यह एक छोटे आकार का एस्टेरॉयड है, जिसका आकार लगभग 10 मीटर है.

29 सितंबर से 25 नवंबर तक देख सकेंगे

यह एस्टेरॉयड 7 अगस्त, 2024 को खोजा गया था और इसे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में 29 सितंबर से 25 नवंबर, 2024 तक देखा जा सकेगा. इस अवधि के दौरान, 2024 PT5 पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाएगा, लेकिन यह पूरी तरह से एक कक्षा नहीं बनाएगा. इसके बाद, 25 नवंबर, 2024 को यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से बाहर हो जाएगा और सूर्य की कक्षा में वापस लौट जाएगा.

अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी द्वारा प्रकाशित रिसर्च पेपर में इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है. जिसमें बताया गया है कि जब पृथ्वी के पास स्थित ऑब्जेक्ट्स, जो कि घोड़े की नाल के आकार की कक्षा में यात्रा करते हैं, हमारे ग्रह के निकट आते हैं और उनकी गति कम होती है, तब वे मिनी-मून इवेंट्स से गुजर सकते हैं. इस दौरान, उनकी भू-केंद्रित ऊर्जा नकारात्मक हो जाती है, लेकिन ये ऑब्जेक्ट्स पृथ्वी के चारों ओर पूरी कक्षा नहीं बनाते हैं.

बिना दूरबीन से देखना संभव नहीं

हालांकि इससे पहले भी मिनी-मून देखे जा चुके हैं, 2024 PT5 को नंगी आंखों या सामान्य शौकिया दूरबीनों से देखना संभव नहीं होगा. इसका ब्राइटनेस 22 मैग्निट्यूड तक होगा, जो केवल अत्याधुनिक अवलोकन उपकरणों से ही देखा जा सकेगा. इसका छोटा आकार और कम अवधि के बावजूद, 2024 PT5 की खोज खगोलशास्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पृथ्वी के निकट स्थित ऑब्जेक्ट्स की गति और उनके गुरुत्वाकर्षण प्रभावों के बारे में नई जानकारियां प्रदान कर सकती है.

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इस प्रकार की खोजें न केवल पृथ्वी और अन्य ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण को समझने में मदद करती हैं, बल्कि सौरमंडल की गतिशीलता और ब्रह्मांड की संरचना को भी स्पष्ट करती हैं. इस मिनी-मून के अध्ययन से वैज्ञानिकों को भविष्य में अन्य खगोलीय घटनाओं और उनके प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी.

Shailendra Verma

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