आजकल मोबाइल फोन तो मानों ऑक्सीजन की तरह हो गया है, अगर थोड़ी मोबाइल फोन से लोगों को दूर कर दिया जाए, तो उन्हें बेचैनी होने लगती है. वहीं अगर खो जाए तो समझो इससे बुरा कुछ हो ही नहीं सकता. तो सबसे मुश्किल होता है, चोरी होने के बाद दोबारा मोबाइल फोन का मिलना, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, अब गुम मोबाइल को तलाशना आसान होगा. इसी के साथ ही साइबर अपराध से भी बचा जा सकेगा. बता दें कि केंद्रीय संचार, रेलवे, इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मोबाइल ग्राहकों को सशक्त बनाने के लिए चक्षु और DIP (डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म) एप लॉन्च किया है. केंद्र सरकार ने मोबाइल, इंटरनेट और मैसेज के जरिए होने वाले साइबर अपराधों को रोकने के लिए ये बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने संचार साथी पहल के तौर पर दो नए प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं.
बता दें कि यह पोर्टल नागरिकों को उनके नाम पर जारी मोबाइल नंबर, उनका खोया हुआ फोन का पता लगाने या उस नंबर को ब्लॉक करने, खोया हुआ नंबर किस-किस नेटवर्क में काम कर रहा है, खोए हुए फोन में कौन सा सिम काम कर रहा है, इसको जानने में मदद देगा. इसी के साथ ही इंटरनेशनल कॉल्स को रिपोर्ट करने में मदद करेगा. इनमें पहला चक्षु तो दूसरा डिजिटल इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म है. मिली जानकारी के मुताबिक, ये दोनों प्लेटफॉर्म्स यूजर्स को धोखाधड़ी ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने में मदद करेंगे. चक्षु की मदद से लोगों को संदिग्ध मैसेज, नंबर और फिशिंग के प्रयासों की रिपोर्ट करने की सुविधा मिलेगी तो वहीं डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म, बैंकों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और अन्य संगठनों को साइबर अपराधियों के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान करने की सुविधा देगा.
इसको लेकर केंद्रीय आईटी और कम्युनिकेशन मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को बताया कि धोखाधड़ी और अपराध से निपटने के लिए डिजिटल हस्तक्षेप के माध्यम से, दूरसंचार सेवा विभाग ने पिछले 9 महीनों में नागरिकों को लगभग ₹1000 करोड़ खोने से बचाया है. उन्होंने ये भी कहा कि इसके अलावा, धोखाधड़ी वाले लेनदेन से जुड़े बैंक खातों में ₹1008 करोड़ फ्रीज कर दिए.
अश्विनी वैष्णव ने चक्षु के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि “चक्षु पोर्टल का इस्तेमाल धोखाधड़ी से जुड़े संदिग्ध कम्युनिकेशन की रिपोर्ट करने के लिए किया जा सकता है. इसमें यूजर्स नंबर, फिशिंग और मैसेज के बारे में रिपोर्ट कर सकेंगे.” उन्होंने आगे जानकारी दी कि “चक्षु और डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म के जरिए हम जिस गति से साइबर धोखाधड़ी का पता लगाने और उसे रोकने में सक्षम थे, उसमें काफी सुधार होगा.”
तो वहीं उन्होंने डीआईपी के बारे में बताया कि दूरसंचार विभाग ने डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म (DIP) भी पेश किया है, जिसका मकसद धोखाधड़ी की घटनाओं की शिकायत प्रभावी ढंग से करने और कानूनी एजेंसियों, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के बीच सूचनाओं के समन्वय और आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना है.
-भारत एक्सप्रेस
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